जोधपुर:मोदी 0.3 का पहला पूर्ण बजट 1 फरवरी को आ रहा है, जिससे देश को काफी उम्मीदें हैं. राजस्थान के लोगों को भी मोदी सरकार से इस बार ज्यादा उम्मीदें इसलिए हैं, क्योंकि अब डबल इंजन की सरकार है. इसमें भी खास तौर से पश्चिमी राजस्थान (मारवाड़) के लोगों को भी उम्मीदें इस बजट से बंधी हैं. इनमें खास तौर से उद्योगों के लिए विशेष नीति, रिफाइनरी शुरू हो तो रोजगार, पर्यटन को बढावा मिले, साथ ही मारवाड़ की देश के अन्य भागों से रेल कनेक्टिविटी बढ़ाने की मांग लंबे समय चल रही है. ऐसे में इस बजट से मारवाड़ के लोगों की बड़ी उम्मीदें हैं.
पिछले बजट में एमएसएमई को आगे बढाने के लिए सरकार ने गत बार वादा किया था, क्योंकि इसी सेक्टर में सर्वाधिक रोजगार सृजित होता है. मरुधारा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष महावीर राज चोपड़ा का कहना है कि एमएसएमई से आत्मनिर्भर भारत को मजबूती मिल सकती है. ऐसे में हमारी अपेक्षा है कि इसके लिए सरलीकरण करना जरूरी है. साथ ही इस क्षेत्र में स्टार्टअप आए, इसको लेकर सरकार को पॉलिसी जारी करनी चाहिए. चोपड़ा ने बताया कि 10 लाख तक की आय अगर टैक्स फ्री हो तो ज्यादा फायदा होगा. जीएसटी में सरलीकरण की जाए. लघु उद्योग भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष घनश्याम ओझा ने बताया कि हमने जीएसटी की स्लैब बढ़ाने की मांग की है. बजट को लेकर हमने वित्त मंत्री को सुझाव भी दिए हैं. हमारी मांग है कि एमएसएमई को मजबूती मिले, साथ ही स्किल डेवलपमेंट पर सरकार फोकस करे.
कॉरपोरेट टैक्स बढ़े : उद्यमियों का कहना है कि कॉरपोरेट इनकम टैक्स बहुत कम है. सिर्फ 15 फीसदी है, जबकि व्यक्गित, पार्टनरशिप कंपनियों का टैक्स 30 फीसदी है. अगर इसे भी कॉरपोरेट के बराबर कर दिए जाए तो लोग उद्योग लगाने के लिए प्रेरित होंगे. इससे रोजगार सृजन में मदद मिलेगी. केंद्र सरकार से यह भी अपेक्षा है कि स्किल सेंटर स्थापित हों, जिससे उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार हो. साथ ही सरकारी खरीद में एमएसएमई को बढ़ावा देने की मांग है, साथ ही स्टैंडर्ड डिडक्शन भी बढ़ाना चाहिए.
सोलर उत्पादन को बढ़ावा देने की जरूरत : पश्चिमी राजस्थान में बड़े-बड़े सोलर प्लांट लग रहे हैं, लेकिन अभी भी सरकार की सब्सिडी के बावजूद आमजन इसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं. सोलर में निवेश को लेकर सरकार की कई बाध्याताएं अभी भी लागू हैं. ऐसे में सरकार को इस पर पूरी रोक लगानी चाहिए, जिससे व्यक्ति अपनी आवश्यकता के अनुरूप उत्पादन कर सके. साथ ही रियायत बढाने की जरूरत है. यह बिजली में आत्मनिर्भर बनाने के लिए महत्वपूर्ण है.