रांची:भाजपा के 18 विधायकों के खिलाफ सस्पेंशन की कार्रवाई जरूरी थी. अगर व्यवस्था मौन रहती तो ऐसे लोगों का मनोबल और बढ़ता. विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने यह बात कही है. सभा की कार्यवाही कल 11:00 बजे तक स्थगित होने के बाद स्पीकर अपने चेंबर में मीडिया कर्मियों से मिले और कार्रवाई की वजह बताई. उन्होंने कहा कि 31 जुलाई को सदन के नेता हेमंत सोरेन ने खुद कहा था कि वह विपक्ष के सवालों का जवाब देंगे. फिर भी विपक्ष के विधायक वेल में डटे रहे. हंगामा करते रहे, सदन नहीं छोड़ने का भी ऐलान कर दिया. एक बैनर को आसन के समक्ष खोलकर नारेबाजी करते रहे. सदन स्थगित होने के बाद भी वेल में धरना पर बैठ गए.
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि यह सामान्य नियम के प्रतिकूल है. कार्य संचालन नियम 310 के अनुसार सदन में सभा की बैठक के अलावा कोई दूसरा काम नहीं हो सकता है. कार्यवाही स्थगित होने के बाद सभा भवन को बंद करना था. अधिकारी परेशान थे, लेकिन विपक्ष के विधायक घंटों जमे रहे. स्पीकर ने कहा कि मार्शल (महिलाएं भी) सदस्यों को बाहर आने का आग्रह करने गये तो उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया. उन्हें गाली दी गई. घंटों बीतने के बाद मार्शल द्वारा सम्मान के साथ सभी को सदन से बाहर किया गया. इसके बावजूद विपक्ष के विधायक लॉबी में डटे रहे. स्पीकर के मुताबिक मोटा-मोटी भाषा में इसे हुड़दंगाई कहा जा सकता है.
सोशल मीडिया पर वीडियो किया वायरल
स्पीकर ने कहा कि इस दौरान सोशल मीडिया पर बयानबाजी की गई. रात भर सदस्यों ने अव्यवस्था फैलाए रखा. भाजपा विधायक भानु प्रताप और बिरंची ने वीडियो वायरल किया. जबकि ऐसा करना सदन में वर्जित है. सदन की गरिमा और गोपनीयता तार-तार की गई. उन्होंने कहा कि रणधीर सिंह, अमर बावरी के अलावा बाबूलाल मरांडी की तरफ से भी वीडियो को सार्वजनिक किया गया. इससे गोपनीयता उल्लंघन का मामला बनता है. उसी हिसाब से आगे की कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने कहा कि संविधान और कार्य संचालन के नियम 299, 300 और 310 के तहत 18 सदस्यों को सभावेशम में प्रवेश वर्जित कर दिया गया है.