कोरबा : दिव्यांगजनों के आकलन और उन्हें मिलने वाली सुविधाओं को निर्बाध रूप से देने के लिए शिक्षा और समाज कल्याण विभाग ने संयुक्त तौर पर आकलन शिविर का आयोजन किया. यह शिविर कोरबा शहरी क्षेत्र के बीआरसी कार्यालय में आयोजित हुआ. आने वाले दिनों में हर विकासखंड में इस तरह के शिविर लगाने के आदेश दिए गए हैं.
200 दिव्यांगजनों ने दर्ज कराई उपस्थिति :इस शिविर में लगभग 200 दिव्यांगजनों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. कुछ लोग ऐसे भी थे, जिनके आधार कार्ड तो हैं. लेकिन यूनिक आईडी कार्ड नहीं बने हैं. जिनका रजिस्ट्रेशन भी यहां से किया गया. यूनिक आईडी कार्ड बन जाने के बाद दिव्यांगजन देशभर के किसी भी स्थान से दिव्यांग जनों को मिलने वाली अलग-अलग सरकारी योजनाओं का लाभ ले सकते हैं.
मेडिकल प्रमाण पत्र के साथ यूनिक आईडी कार्ड भी जरूरी :आपको बता दें किदिव्यांगजनों के लिए सरकार कई तरह की योजनाओं का संचालन करती है. सहायक उपकरण देने के साथ ही उन्हें मासिक तौर पर मिलने वाले पेंशन, इलाज में सहायता, विवाह प्रोत्साहन योजना और अपना रोजगार शुरू करने के लिए लोन की भी योजनाएं मौजूद हैं.इन सभी योजनाओं का लाभ दिव्यांगजनों को तभी मिलेगा जब उनके पास 40% से अधिक के दिव्यांग होने का मेडिकल प्रमाण पत्र होगा. ये प्रमाण पत्र मेडिकल बोर्ड जारी करता है. इसके अलावा समाज कल्याण विभाग से यूनिक आईडी कार्ड भी बनाया जाता है. यह एक विशेष तरह का कार्ड होता है. जिसमें दिव्यांगजनों की सारी डिटेल फीड की जाती है. दिव्यांगता का प्रकार और हर तरह की जानकारी होती है.
यूनिक कार्ड क्यों है जरुरी : यह सेंट्रलाइज्ड कार्ड होता है, जो देश में किसी भी स्थान से इस्तेमाल किया जा सकता है. देश के किसी भी कोने से दिव्यांगजनों को मिलने वाली सुविधाओं का लाभ लेने के लिए यह बेहद जरूरी है. दिव्यांगजनों के लिए 2016 में पारित अधिनियम के अनुसार अब 21 तरह के शारीरिक अक्षमताओं वाले लोगों को दिव्यंगता की श्रेणी में रखकर उनका प्रमाण पत्र बनाया जा रहा है. जिससे संबंधित सभी तरह की जानकारी जिले के समाज कल्याण विभाग से प्राप्त की जा सकती है. इस शिविर की यहां पहुंचे दिव्यांगजनों ने तारीफ की.0
इस तरह के शिविर में सरकारी योजनाओं की जानकारी मिल जाती है. स्कूल से मिलने वाली स्कॉलरशिप हो या अन्य तरह की योजनाएं उन सब की जानकारी लेने यहां पहुंची हूं. ताकि बेटी को किसी तरह की कोई परेशानी ना हो. मेरी बेटी दृष्टि बाधित है. जिनकी दृष्टि केवल 10 फीसदी है - गीता महापात्र, दिव्यांगजन की मां