लखनऊ:11 माह की बच्ची और उसकी मां के साथ दुष्कर्म करने वाले नौकर रामसुत को दोषी करार देते हुए पॉक्सो एक्ट के विशेष न्यायाधीश विजेंद्र त्रिपाठी ने 10 साल की कैद और 6 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. सरकारी वकील अभिषेक उपाध्याय और अरुण कुमार ने बताया कि वादी ने गोमतीनगर विस्तार थाने में 16 अप्रैल 2022 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि वह अलकनंदा अपार्टमेंट में अपनी पत्नी, 11 माह की बच्ची और नौकर के साथ रहता है.
बताया गया कि शाम को पत्नी के चिल्लाने पर जब वादी अपने कमरे से बाहर गया तो देखा कि उसकी पत्नी ज़मीन पर गिरी पड़ी थी, जबकि बेटी आरोपी के हाथ में थी और दोनों आपत्तिजनक स्थिति में थे. पत्नी से पूछने पर पता चला कि जब वह स्नान कर निकली तो देखा कि बेटी बिस्तर पर नहीं थी. इस पर वादिनी की पत्नी ने आरोपी का कमरा खोला तो पाया कि उसकी बेटी और आरोपी दोनों आपत्तिजनक स्थिति में थे. आरोप लगाया गया कि आरोपी ने धक्का मारकर वादी की पत्नी को गिरा दिया और दुष्कर्म किया. साथ ही जानमाल की धमकी दी.
ड्यूटी में लापरवाही पर 6 पुलिसकर्मियों को चार वर्ष की कैद
सजा भुगत रहे अपराधी को तिहाड़ जेल से लखनऊ पेशी के दौरान फरार करने के आरोपी दिल्ली पुलिस के एएसआई धर्मवीर सिंह, हेड कॉन्स्टेबल महेंद्र पाल सिंह, सिपाही जोगेंद्र सिंह, शिवकुमार, रवि कुमार एवं रोशनलाल को भ्रष्टाचार निवारण की विशेष न्यायाधीश शालिनी सागर ने चार-चार साल की कैद और 50-50 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई.
सरकारी वकील सुनील यादव ने बताया कि मामले की रिपोर्ट एएसआई धर्मवीर सिंह ने 27 जून 2013 को जीआरपी थाने में दर्ज कराई थी कि तिहाड़ जेल में बंद आरोपी सौरव शर्मा को लखनऊ के कोर्ट में पेशी के लिए 26 जून को लाया गया था. पेशी के बाद पुलिस टीम आरोपी को दिल्ली ले जाने के लिए चारबाग छोटी लाइन के वेटिंग रूम में आ गई. कहा गया कि वहां आरोपी सौरव शर्मा से मिलने के लिए उसकी कथित मां और दो लड़के आए और सभी को खाना खिलवाया. यह भी कहा गया कि ट्रेन में समय था तो सौरव शर्मा ने सबके लिए लस्सी मंगवाई, जिसे पीने के बाद गारद में लगे आरोपी और वादी धर्मवीर सहित अन्य पुलिस वाले बेहोश हो गए. इसके बाद सौरव शर्मा और उसके साथी भाग गए. अगले दिन होश आने पर दिल्ली पुलिसकर्मियों ने रिपोर्ट दर्ज कराई. जीआरपी पुलिस ने विवेचना के बाद आरोपी सौरव शर्मा को तिहाड़ जेल से लेने वाले दिल्ली पुलिसकर्मियों के खिलाफ चार्जशीट लगाई थी.
हत्या के दोषी को आजीवन कारावास
रंजिश के चलते रिक्शा चालक की हत्या करने और साक्ष्य मिटाने के आरोपी बहादुर को दोषी करार देकर एडीजे विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने आजीवन कारावास और दो हज़ार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. मामले के अन्य आरोपी मुन्ना सिंह की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी. कोर्ट में सरकारी वकील एमके सिंह ने बताया कि मामले की रिपोर्ट वादिनी माधुरी ने कृष्णानगर थाने में चार जुलाई 2009 को दर्ज कराई थी कि उसकी ससुराल उन्नाव का रहने वाला परिचित राकेश कुमार गुप्ता उसके घर पर रहकर रिक्शा चलाता है. एक दिन पहले रात में राकेश घर के बाहर ठेले पर सो रहा था. सुबह उसकी लाश कृष्णानगर थाना क्षेत्र के केसरीखेड़ा में मिली. माधुरी ने रिपोर्ट में शंका जताई थी कि कुछ दिन पहले आरोपी बहादुर और मुन्ना ने उसे और राकेश को मारपीटा था. लिहाजा इसी कारण राकेश की हत्या पड़ोसी बहादुर और मुन्ना ने की.
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