जगदलपुर : बस्तर के केंद्रीय जेल में कोरोना काल के बाद यह पहली बार बंद कैदियों को बहनों ने राखी बांधी है. नक्सल प्रभावित इलाकों से बहनें अपने कैदी भाइयों को राखी बांधने पहुंची हैं. बहनों ने राखी बांधने के साथ भाईयों की जल्द रिहाई की दुआ मांगी. इस दौरान रक्षाबंधन का त्यौहार जेल में मनाने का अफसोस सजा काट रहे भाईयों की आंखो में साफ दिखाई दे रहा था. इस दौरान जेल प्रशासन ने बहनों के लिए जेल में अतिरिक्त इतंजाम भी किये थे.
कैदियों को जेल में रक्षाबंधन मनाने का अफसोस : कैदी पीयूष मिश्रा ने बताया, "करीब 5-6 सालों से अपने गुनाह की सजा काट रहे हैं. इतने सालों से अपने परिवार से दूर हैं. आज परिवार के लोग और बहनें राखी बांधने आई है तो अच्छा लगा. लेकिन जेल जैसे क्षेत्र में परिवार का आना ठीक नहीं लगता. इन सालों में अपने गुनाह का अफसोस हो रहा है. अब दुबारा गलती नहीं करने की ठानी है. जल्द से जल्द छूट कर घर परिवार के साथ समय बिताने की इच्छा है."
"पिछले 6 साल 6 महीने और 14 दिन से जेल में हूं. कोरोना के कारण पिछले कई सालों से राखी नहीं बंधाई थी. इस साल राखी बांधने कैदी भाइयों की बहनें आई हैं तो अच्छा लग रहा है. लेकिन जेल में राखी बंधा रहे हैं, इसीलिए अच्छा नहीं लग रहा है. इतने सालों में काफी अफसोस हो रहा है. सभी निकले और दुबारा गलती नहीं करें, अब यही दुआ है." - नीलेश नेताम, कैदी
बहनों ने भाई से गलत काम छोड़ने का लिया वादा : एक कैदी की बहन रेखा उपाध्याय ने बताया, "केंद्रीय जेल में छोटा भाई है, जिसे राखी बांधने आए हैं. इससे पहले घर-परिवार में बैठकर उत्साह के साथ राखी का त्यौहार मनाते आये हैं. लेकिन अब जेल में राखी बांध रहे हैं, इसीलिए बहुत बुरा लग रहा है. अच्छी बात यह है कि जेल विभाग ने आज भाई-बहन को फेस टू फेस मिलने का मौका दिया. पहले बाहर से ही राखी देकर चले जाते थे."