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मकर संक्रांति पर महर्षि जमदग्नि की तपोस्थली तत्तापानी में लगेगी आस्था की डुबकी, तुलादान और खिचड़ी दान का है विशेष महत्व - MAKAR SANKRANTI 2025

मकर संक्रांति पर महर्षि जमदग्नि की तपोस्थली तत्तापानी में आस्था की डुबकी लगेगी. बड़ी संख्या में तत्तापानी में श्रद्धालु स्नान करेंगे.

मकर संक्रांति पर तत्तापानी में लगेगी आस्था की डुबकी
मकर संक्रांति पर तत्तापानी में लगेगी आस्था की डुबकी (ETV Bharat)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 13, 2025, 9:37 PM IST

शिमला:मकर संक्रांति पर हजारों श्रद्धालु महर्षि जमदग्नि की तपोस्थली तत्तापानी में गर्म पानी के चश्मों में आस्था की डुबकी लगाएंगे. जिला बिलासपुर की सीमा पर निर्मित 800 मेगावाट के कोल डैम विद्युत परियोजना बनने के बाद से शिमला और मंडी जिला की सीमा से लगती सतलुज नदी पर बनी कृत्रिम झील के साथ लगते विश्व प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटन स्थल तत्तापानी में तीन दिवसीय जिला स्तरीय लोहड़ी व मकर संक्रांति मेले का आयोजन हो रहा है.

यहां मकर संक्रांति के पर्व पर विदेशों सहित प्रदेश के अन्य राज्यों और प्रदेश भर से पर्यटक पवित्र स्नान के लिए आते हैं. मकर संक्रांति के दिन तत्तापानी तीर्थ स्थल में स्नान करने के बाद तुलादान और खिचड़ी दान करने का विशेष महत्व है. मकर संक्रांति के दिन तत्तापानी में खिचड़ी दान करने की सदियों से परंपरा चली आ रही है. ऐसे में इस धार्मिक तीर्थ स्थल में जगह-जगह प्रसाद के रूप में खिचड़ी खिलाई जाएगी. इस बार भी मकर संक्रांति मेले पर हजारों श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है.

मकर संक्रांति पर तत्तापानी में लगेगी आस्था की डुबकी (ETV Bharat)

एक बर्तन में 1995 किलो खिचड़ी का बना था विश्व रिकॉर्ड

विश्व स्तरीय धार्मिक पर्यटन स्थल पर खिचड़ी पकाने का विश्व रिकॉर्ड है. यहां वर्ष 2020 में मकर सक्रांति मेले के आयोजन में सबसे विशेष आकर्षण का केंद्र एक ही बर्तन में 1995 किलोग्राम खिचड़ी रही थी. हिमाचल प्रदेश पर्यटन विभाग ने एक ही बर्तन में 1995 किलोग्राम खिचड़ी बनवाकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया था. ऐसे में तत्तापानी के नाम खिचड़ी बनाने का विश्व रिकॉर्ड है.

स्नान से चर्म रोग भी होते हैं दूर

आदि काल से मान्यता है कि परशुराम ने यहां स्नान करने के बाद अपनी धोती निचोड़ी थी, जहां-जहां धोती निचोड़ने से पानी के छींटे पड़े, वहां गर्म पानी के चश्मे फूट पड़े थे. तत्तापानी में सदियों से लोग बैसाखी व लोहड़ी स्नान कर पुण्य के भागीदार तो बनते ही आ रहे हैं, लेकिन यहां स्नान करने से चर्म रोग से भी निजात पाते हैं. ऐसे में लोगों की इन चश्मों के प्रति गहरी आस्था है.

हालांकि, सदियों से पहाड़ी मानुष की आस्था का केंद्र रहे तत्तापानी तीर्थ की कहानियां आने वाली पीढ़ियां अब किताबों में ही पढ़ेंगी. जिला बिलासपुर में सतलुज नदी पर 800 मेगावाट क्षमता की कोलडैम जल विद्युत परियोजना तैयार होने से तत्तापानी में सतलुज नदी पर कृत्रिम झील बन गई है. जिस कारण सतलुज नदी के किनारों पर पत्थरों के बीच फूटे विख्यात गर्म पानी के चश्मों ने जल समाधि ले ली है. अब यहां सतलुज झील के किनारे कृत्रिम तरीके से गर्म पानी निकाला गया है. जहां अब श्रद्धालु स्नान करते हैं. वहीं, कई पंडितों ने आस्था के कुंड झील में समा जाने के बाद घरों के आंगन में ही तुलादान के लिए तराजू लगाए हैं. जहां अब भी पवित्र स्नान के लिए तुलादान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है.

तत्तापानी के साथ लगते रंडौल क्षेत्र के पदम देव शास्त्री ने कहा, "तत्तापानी में गर्म पानी के स्रोत हैं. यहां मकर संक्रांति के दिन बाहरी राज्यों सहित प्रदेश भर से लोग स्नान करने के बाद तुलादान कर ग्रहों का निवारण करते हैं. मकर संक्रांति को तत्तापानी में खिचड़ी और वस्त्र दान करने का विशेष महत्व है".

एसडीएम करसोग गौरव महाजन ने कहा, "तत्तापानी में जिला स्तरीय लोहड़ी और मकर संक्रांति मेले के लिए सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गई है. इसके अतिरिक्त ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए भी प्रबंध किए गए हैं जिसके लिए 40 पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है. उनका कहना है कि तत्तापानी के आसपास खाली जगह को वाहनों की पार्किंग के लिए पहले ही चिन्हित किया गया है. ताकि शिमला-करसोग मार्ग पर लोगों को ट्रैफिक जाम की समस्या से नहीं जूझना पड़ेगा".

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