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कूनो के जंगल में रफ्तार भरेंगे अग्नि और वायु, नेशनल पार्क ने जारी किया खास वीडियो

अंतरराष्ट्रीय चीता दिवस पर कूनो नेशनल पार्क में दो चीतों को खुले मैदान में छोड़ा गया. अब पर्यटक भी जंगल सफारी के दौरान चीतों को देखने का लुत्फ उठा सकते हैं.

SHEOPUR KUNO NATIONAL PARK
अंतरराष्ट्रीय चीता दिवस पर आजाद हुए चीते (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 19 hours ago

Updated : 12 hours ago

श्योपुर: जिले स्थित कूनो नेशनल पार्क में 4 दिसंबर बुधवार को अंतर्राष्ट्रीय चीता दिवस मनाया जा रहा है. इसे लेकर कूनो प्रबंधन द्वारा कई तैयारियां की गई. इस अवसर पर कूनो नेशनल पार्क में चीता प्रोजेक्ट के 2 साल पूरे होने पर कार्यक्रम हुए. इसके बाद 2 नर चीतों यानि अग्नि और वायु को बड़े-बाड़े से खुले जंगल में छोड़ा गया. बाकी चीते बड़े बाड़े में ही मौजूद रहेंगे, और धीरे-धीरे इन्हें भी बाड़ों से आजाद कर दिया जाएगा. वहीं कूनो प्रबंधन ने इस मौके पर एक फिल्म जारी की है.

कूनो प्रबंधन ने जारी किया चीतों का वीडियो

कूनो प्रबंधन द्वारा चीतों पर जारी की गई फिल्म में 2 सालों के सफर की कुछ झलकियां दिखाई गई हैं. इसमें दिखाया गया है कि किस तरह से कूनो नेशनल पार्क के अधिकारियों ने चुनौतियों से लड़कर कूनो नेशनल पार्क के अंदर चीतों को बचाने के प्रयासों के साथ-साथ मॉनिटरिंग की है. बता दें कि चीतों को छोड़ने के दौरान चीता स्टीयरिंग कमेटी के सदस्यों के साथ कूनो पालपुर के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहेंगे. वहीं अब पर्यटकों को खुले जंगल में चीते दिखाई देने की संभावना बढ़ जाएगी.

कूनो प्रबंधन ने जारी किया चीतों का वीडियो (ETV Bharat)

चीतों को जंगल में छोड़ने की तैयारी पूरी

वन्यजीव विशेषज्ञ के मुताबिक एक चीते के लिए करीब 100 वर्ग किमी क्षेत्र की जरूरत होती है. कूनो के जंगल का क्षेत्र करीब 1200 वर्ग किमी का है. इसमें 748 वर्ग किमी मुख्य जोन और 487 वर्ग किमी बफर जोन है. बता दें कि 1 मार्च 2023 को पहली बार चीता पवन व आशा को खुले जंगल में छोड़ा गया था. इसके कुछ ही दिन बाद चीता गौरव (एल्टन) और शौर्य (फ्रेडी) को छोड़ा गया था. इस दौरान कई बार चीते राजस्थान और मध्य प्रदेश के दूसरे जिलों तक पहुंच गए. फिर इन्हें ट्रेंकुलाइज करके वापस कूनो में लाया गया. इसके बाद इन चीतों को फिर से बड़े बाड़े में बंद कर दिया गया था.

संक्रमण से हो गई थी एक चीते की मौत

दरअसल, कॉलर आईडी की रगड़ से गर्दन में हुए संक्रमण से एक चीते की मौत हो गई थी. इसके बाद बाहर घूम रहे सभी चीतों को फिर से बड़े बाड़े में बंद कर दिया गया था. इन्हीं कुछ आशंकाओं की वजह से चीतों को खुले जंगल में छोड़ने पर निर्णय लंबे समय से टल रहा था. चीतों को खुले जंगल में छोड़ने से पहले तय किया गया कि चीतों का मूवमेंट जिस राज्य या जिले में होगा, उसके भोजन और निगरानी की जिम्मेदारी संबंधित वन मंडल की होगी.

जंगल में छोड़े गए अग्नि और वायु चीते (ETV Bharat)

चीता कॉरिडोर बनाए जाने पर हुई चर्चा

29 नवंबर को राजस्थान के रणथंभौर में इन्हें जंगल में छोड़े जाने के संबंध में बैठक हुई थी, जिसमें राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा बनाई गई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) पर सहमति बनी और इन्हें खुले जंगल में छोड़ने की तिथि 4 दिसंबर तय कर दी गई. बैठक में तीनों राज्यों में 1500 से 2000 वर्ग किमी का चीता कॉरिडोर बनाए जाने पर भी चर्चा हुई थी.

Last Updated : 12 hours ago

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