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By ETV Bharat Delhi Team

Published : 4 hours ago

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कालकाजी मंदिर में नवरात्र की भव्य तैयारियां, यहां महाकाली के रूप में प्रकट हुई थीं मां दुर्गा - Shardiya Navratri 2024

Shardiya Navratri 2024: दिल्ली के प्रसिद्ध कालकाजी मंदिर में नवरात्रि को लेकर व्यापक तैयारियां की गई हैं. मान्यता है कि इसी स्थान पर माता ने महाकाली का रूप धारण कर असुरों का संहार किया था. मंदिर में प्रवेश के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार बनाए गए हैं.

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शारदीय नवरात्रि आज से प्रारंभ (Etv Bharat)

नई दिल्ली:शारदीय नवरात्रि आज से प्रारंभ हो गई है. नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती. शैलपुत्री, देवी दुर्गा के नौ रूपों में पहली हैं. मां शैलपुत्री सौभाग्य की देवी हैं. उनकी पूजा से सभी सुख प्राप्त होते हैं. नवरात्रि को लेकर मंदिरों में विशेष तैयारी की गई है और भक्त माता के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. इसी कड़ी में दिल्ली के प्रसिद्ध कालकाजी मंदिर में भी नवरात्रों के दौरान व्यापक तैयारियां की गई है. कालकाजी मंदिर के पीठाधीश्वर महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने बताया कि आम भक्तों के लिए तीन तरफ से प्रवेश दिया गया है. वहीं पास धारकों के लिए राम प्याऊ नेहरू प्लेस के तरफ से प्रवेश दिया गया है.

सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम:पीठाधीश्वर महंत ने बताया कि मंदिर में नवरात्रि के दौरान मां के दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है. लाखों की संख्या में भक्त कालकाजी मंदिर माता के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. इसे लेकर सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम किए गए हैं. यहां दिल्ली पुलिस के जवानों के साथ ही अन्य सुरक्षा बलों को भी तैनात किया गया है. मंदिर परिसर की निगरानी सीसीटीवी कैमरे से भी रखी जा रही है.

कालकाजी मंदिर (ETV Bharat)

कालकाजी मंदिर का इतिहास:कालकाजी मंदिर प्राचीन हिन्दू मंदिर है. कालकाजी मंदिर के नाम से विख्यात 'कालिका मंदिर' देश के प्राचीनतम सिद्धपीठों में से एक है. माना जाता है कि वर्तमान मंदिर के प्राचीन हिस्से का निर्माण मराठाओं की ओर से सन् 1764 में किया गया था. बाद में सन् 1816 में अकबर के पेशकार राजा केदार नाथ ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया था. बीसवीं शताब्दी के दौरान दिल्ली में रहने वाले हिन्दू धर्म के अनुयायियों ने यहां चारों ओर अनेक मंदिरों और धर्मशालाओं का निर्माण कराया था. उसी दौरान इस मंदिर का वर्तमान स्वरूप बनाया गया था.

कालकाजी मंदिर में नवरात्र की भव्य तैयारियां (ETV Bharat)

श्रीकृष्ण ने पांडवों के साथ की थी पूजा:माना जाता है कि महाभारत काल में युद्ध से पहले भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों के साथ यहां भगवती की अराधना की थी. बाद में बाबा बालकनाथ ने इस पर्वत पर तपस्या की थी, तब माता भगवती ने उन्हें दर्शन दिया था.

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महाकाली ने किया था रक्तबीज का वध:मंदिर के महंत के अनुसार, असुरों की ओर से सताए जाने पर देवताओं ने इसी जगह शिवा की अराधना की थी. देवताओं के वरदान मांगने पर मां पार्वती ने कौशिकी देवी को प्रकट किया, जिन्होंने अनेक असुरों का संहार किया, लेकिन रक्तबीज को नहीं मार सकीं. इसके बाद पार्वती ने अपनी भृकुटी से महाकाली को प्रकट किया, जिन्होंने रक्तबीज का संहार किया. महाकाली का रूप देखकर सभी भयभीत हो गए. देवताओं ने काली की स्तुति की तो मां भगवती ने कहा कि जो भी इस स्थान पर श्रृद्धाभाव से पूजा करेगा, उसकी मनोकामना पूर्ण होगी.

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