चंडीगढ़:आज, मंगलवार 8 सितंबर को शारदीय नवरात्रि का छठा दिन है. मां दुर्गा का छठा स्वरूप है मां कात्यायनी, नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. मां कात्यायनी का जन्म ऋषि कात्यायन के घर हुआ था. इसलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ा. मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों को काम, मोक्ष, धर्म और अर्थ इन चारों फलों की प्राप्ति हो जाती है. तो चलिए सबसे पहले माता रानी के जन्म की कथा को जान लेते हैं.
मां कात्यायनी की जन्म कथा: मां कात्यायनी के जन्म की कथा तो विश्वप्रसिद्ध है. ऋषि कात्यायन ने मां भगवती की उपासना की और कठिन तपस्या की. जब मां भगवती ने उन्हें दर्शन दिए तो उन्होंने मां भगवती से वरदान मांगा की उनके घर पुत्र जन्म हो. इसके बाद मां भगवती ने स्वयं उनके घर जन्म लिया. इसलिए उनका नाम कात्यायनी पड़ा.इतना ही नहीं, गोपियों ने भी भगवान श्रीकृष्ण को पति रुप में पाने के लिए मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना की. मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों की न केवल मनोकामनाएं पूरी होती है, बल्कि पाप भी नष्ट हो जाते हैं. मां अपने भक्तों के सभी पाप हर लेती हैं. साथ ही मां कात्यायनी की पूजा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
मां कात्यायनी का स्वरूप व प्रिय भोग: मां कात्यायनी की स्वरूप बहुत ही चमकीला है. माता की चार भुजाएं हैं. उकने दाई तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में रहता है. उसके नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में रहता है. मां के बाईं तरफ ऊपर वाले हाथ में तलवार होती है, जबकि दूसरे हाथ में कमल का फूल लिए रहती हैं. मां कात्यायनी भी सिंह की सवारी करती हैं. इनकी पूजा करने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. मां कात्यायनी को पीला रंग ज्यादा प्रिय है. इसलिए उन्हें पीले रंग की ही मिठाई का भोग पसंद है. साथ ही माता को शहद से बने हलवे का भोग लगाना चाहिए. माता रानी को आज के दिन आप सूजी के हलवे में शहद मिलाकर भोग अर्पित कर सकते हैं.