शहडोल।आजकल ज्यादातर युवा अपना खुद का काम करना चाहते हैं, कई जगहों पर तो ऐसा देखा गया है कि कई युवा बड़ी-बड़ी नौकरियों को छोड़कर खुद का काम स्टार्ट कर रहे हैं. कुछ लोग कृषि की ओर भी आकर्षित हो रहे हैं, कई युवा कृषि में बेहतर कर भी रहे हैं. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि कैसे बाजरे की खेती करके आप लखपति बन सकते हैं. यूं कहें कि बाजरे की खेती से लाखों कमा सकते हैं, बाजरे की खेती कब की जाती है, क्या-क्या इसमें सावधानियां बरतनी चाहिए, क्यों बाजरे की खेती बहुत आसान है, बाजरे की खेती कम खर्चीली क्यों है, और किस तरह की जमीन पर बाजरे की खेती की जा सकती है.
बाजरे की खेती कहां-कहां की जाती है
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति बताते हैं कि बाजरा मोटे अनाज की फसल है और ये स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद है. बाजरे का पूरे देश में लगभग 7 मिलियन हेक्टेयर इसका एरिया है. 9 से 10 मिलियन टन इसका पूरे देश में उत्पादन है, ये फसल राजस्थान और गुजरात में खरीफ के मौसम में भी उगाई जाती है और गर्मी के मौसम में भी उगाई जाती है. तमिलनाडु में जैसा कि रबी के मौसम में उगाया जाता है. पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश इन राज्यों में ये खरीफ के मौसम में उगाया जाता है. आप देखेंगे की औसतन जो हमारे बाजरे की फसल है, देश के सभी राज्यों में इसका उत्पादन किया जाता है.
अन्य फसलों की अपेक्षा इसकी खेती आसान
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति बताते हैं कि बाजरे की खेती मुख्य रूप से सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है. बस इस बात का ध्यान रखना है कि जहां पर आप बाजरे की फसल लगाने जा रहे हैं वहां जल भराव की स्थिति नहीं होनी चाहिए. पीएच मान यानि अम्लीयता और छारीयता की जो बात होती है वह 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए. इसके अलावा इसका उत्पादन धान की तुलना की अपेक्षा तो बहुत ही आसान है. इसे उगाने के लिए केवल चार से पांच किलो बीज प्रति हेक्टेयर लगता है.
बाजरे की फसल ऐसे लगाएं
इस फसल को लगाने के लिए पहले खेत की अच्छे से गहरी जुताई करवा लें, जिससे मिट्टी पूरी तरह से भुरभुरी हो जाए. इसके बाद 2 से 3 सेंटीमीटर गहराई में इसकी रोपाई करनी होती है, मतलब बीज डालना होता है, ड्रिलिंग करनी होती है , इसमें इस बात का भी ध्यान रखें कि पौधे से पौधे की दूरी 10 से 15 सेंटीमीटर होना चाहिए और लाइन से लाइन की दूरी 45 सेंटीमीटर होना चाहिए. इसके बुवाई का समय 15 जुलाई के आसपास का होता है. तमिलनाडु में मुख्य रुप से 15 अक्टूबर के आसपास इसकी बुवाई की जाती है. इसमें थिनिंग की भी प्रक्रिया होती है, जिस जगह पर पौधे नहीं होते हैं वहां 10 से 12 दिन देखने के बाद वहां फिर से बीज डाल दिए जाते हैं.
अच्छे उत्पादन के लिए जरूरी पोषक तत्व
बाजरे की खेती के लिए पोषक तत्व की बात करें तो 15 से 20 टन सड़ी गोबर की खाद खेत में जुताई से पहले मिलाना चाहिए और मिट्टी की जांच के आधार पर जो कमी हो उस पोषक तत्व को देने की आवश्यकता होती है. साधारण भाषा में हम बात करें तो 80 से 100 किलो नाइट्रोजन, 40 से 60 किलो फास्फोरस, 30 से 40 प्रति किलो हेक्टेयर की दर से पोटास डालना होता है.