शहडोल: कई ऐसे पेड़ पौधे होते हैं जो आपके आसपास ही पाए जाते हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में हम उनका उपयोग नहीं कर पाते हैं. ऐसा ही एक पेड़ है जिसे शहडोल संभाग के ग्रामीण क्षेत्रों में भकरेणा नाम से जाना जाता है. आजकल तो कई क्षेत्रों में इसकी बड़े पैमाने पर खेती भी होने लगी है. यह पौधा शुष्क जलवायु में उगने के लिए बहुत उपयुक्त माना जाता है. वैसे इसका प्रचलित नाम रतनजोत है और वानस्पतिक नाम अल्काना टिंक्टोरिया (Alkanna Tinctoria) है. इस पौधे के कई औषधीय महत्व हैं जो कई मर्ज़ों को ठीक करने के काम आता है.
बड़े काम का है भकरेणा
शहडोल के आयुर्वेद डॉ. अंकित नामदेव ने बताया कि ''रतनजोत की जो जड़ होती है, वह नेचुरल फूड कलरिंग एजेंट का काम करती है और कई सौ साल पहले यह हमारी सब्जियों को और व्यंजनों को लाल रंग देने में उपयोग किया जाता था. ये हमारे किचन में तो उपयोगी है ही साथ में दवा बनाने में भी इसका काफी उपयोग किया जाता है. इसके अलावा ये सिंगल भी काफी यूजफुल होता है. उदाहरण के लिए इसके जड़ का जो चूर्ण है वह चर्म रोग में काफी उपयोग होता है. दाद खाज खुजली में अगर इसके चूर्ण का लगाया जाए तो काफी फायदा होता है.''
बाल, गठिया और पथरी रोग में है उपयोगी
आयुर्वेद डॉ. अंकित नामदेव बताते हैं कि ''जिन लोगों को बालों की समस्याएं खासकर डैंड्रफ की समस्या है और सिर में खुजली रहती है. वह इसके पानी को उपयोग करके मतलब जड़ के चूर्ण को पानी में घोलकर उपयोग करें तो डैंड्रफ की समस्या से निजात मिलेगा. अगर इसका चूर्ण पेट संबंधी रोग के लिए लिया जाए तो पेट के जलन में भी काफी फायदा होता है. साथ ही अगर पथरी की समस्या है तो इसके सेवन से पथरी घुलकर निकल जाती है. इसके काढ़े को आम वात या गठिया में धारा के रूप में उपयोग किया जाता है. बहुत सारे ऐसे तेल होते हैं, जिसमें दर्द के तेल जो होते हैं, उनमें रतनजोत का उपयोग किया जाता है. बच्चों में पेट के कीड़े मारने के लिए भी इसके उपयोग किया जाता है.''