वरिष्ठ अध्यापकों की डीपीसी लंबित (Etv Bharat jaipur) जयपुर : पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने प्रदेश के करीब 6 हजार उच्च प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों को उच्च माध्यमिक विद्यालयों में क्रमोन्नत कर दिया है, लेकिन वहां व्याख्याता के पद सृजित नहीं किए गए. आलम यह है कि आज भी प्रदेश के करीब 12 हजार स्कूलों में हिंदी-अंग्रेजी जैसे अनिवार्य विषयों के व्याख्याता तक मौजूद नहीं हैं. ऐसे में उच्च माध्यमिक कक्षाओं के छात्र खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं. वहीं, वरिष्ठ अध्यापकों के चार साल से पदोन्नति पर भी ब्रेक लगा हुआ है, जिसके विरोध में शिक्षकों ने सोमवार को शिक्षा संकुल में राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए डीपीसी की मांग की. साथ ही 10 सितंबर तक डीपीसी को लेकर कोई कदम नहीं उठाने पर अनिश्चितकाल के लिए हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी.
राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ के बैनर तले डीपीसी नहीं होने से निराश चल रहे वरिष्ठ अध्यापकों ने अपना विरोध दर्ज कराया. जयपुर में शिक्षा संकुल में रैली निकाल कर धरना दिया. रेस्टा के प्रदेश अध्यक्ष भैरूराम चौधरी ने बताया कि स्कूलों में व्याख्याता के पद खाली पड़े हैं, जिससे छात्रों की शिक्षा भी प्रभावित हो रही है. राजस्थान सेवा नियम संशोधन पर उम्मीद की जा रही थी कि जल्द 4 साल से बकाया डीपीसी पूरी होगी, लेकिन मुख्य सचिव के निर्देशों के बावजूद शिक्षा विभाग में अभी तक डीपीसी की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई है.
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10 हजार वरिष्ठ अध्यापकों की अटकी पदोन्नति : उन्होंने बताया कि बीते 6 महीने से पदोन्नति संबंधी प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ रही है. इसे लेकर शिक्षकों में भारी रोष है. 4 साल से लंबित पदोन्नति प्रक्रिया से करीब 15 हजार और हाल ही में शिक्षा विभाग ने 3 साल की डीपीसी करने की बात की है. उस दायरे में करीब 10 हजार वरिष्ठ अध्यापक हैं, इसीलिए सोमवार को सांकेतिक रूप से शिक्षा संकुल में धरना देकर विभागीय अधिकारियों और शिक्षा मंत्री को यह अवगत कराया है कि राजस्थान के वरिष्ठ अध्यापक पदोन्नति का इंतजार कर रहे हैं, और यदि 10 सितंबर तक प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया गया तो 10 सितंबर के बाद वरिष्ठ शिक्षक अनिश्चितकाल के लिए हड़ताल पर जाकर सड़कों पर उतरेंगे.
18 हजार नए पदों का करें सृजन :भैरुराम ने बताया कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने 2021-22 और 2022-23 में करीब 6000 मिडिल स्कूलों और माध्यमिक विद्यालयों को उच्च माध्यमिक स्कूल में क्रमोन्नत किया, लेकिन उसमें एक भी नया व्याख्याता पद सृजित नहीं किया गया. इन स्कूलों में दो अनिवार्य और तीन वैकल्पिक विषयों के पद खाली हैं और न ही व्याख्याता पद के लिए वित्तीय स्वीकृति दी गई है. इसको लेकर के भी मांग है कि 18 हजार नए पद सृजित किए जाएं और शिक्षकों की लंबित पदोन्नति कर छात्रों को भी राहत दी जाए.