सीहोर।पेरिस पैरा ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले कपिल परमार की सफलता के पीछे उनके माता-पिता का कड़ा संघर्ष है. कपिल की मेहनत-लगन और माता-पिता का संघर्ष आखिरकार कामयाब रहा. बता दें कि मेडल जीतकर देश का नाम रोशन करने वाले कपिल के पिता बेहद गरीब हैं. फिलहाल वह अपने परिवार का जीवनयापन दूध के धंधे से कर रहे हैं. 4 भाई-बहनों पर कपिल चौथे नंबर पर हैं.
कपिल को करंट लगने से आंखों की रोशनी गायब
गौरतलब है कि 12 साल की उम्र में करंट लगने के कारण कपिल की आंखें 80 प्रतिशत तक खराब हो गई थीं. जिंदगी के इस अंधरे में कपिल ने उम्मीद की रोशनी ढूंढी ओर जूडो में हाथ आजमाना शुरू किया. एक तरफ गरीबी और दूसरी आंखों से परेशान कपिल के पिता ने हिम्मत नहीं हारी. कपिल को हरसंभव सुविधा देने के लिए लिए पिता ने कुछ दिन तक टैक्सी चलाई. इसके बाद चाय की दुकान खोल ली. इस दौरान कपिल के पिता ने हम्माली करने के अलावा ईंट-भट्ठों पर भी मजदूरी की. कपिल की मां भी कभी कंडे पाथकर तो कभी अन्य स्रोतों से हल्की-फुल्की कमाई करती रही.
मेडल जीतने वाले कपिल देश के पहले पैरा जूडो खिलाड़ी
सीहोर जिले के कपिल ने पुरुष 60 किग्रा के मुकाबले में ब्राजील के एलिएलटन डि ओलिवेरा को 10-0 से हराकर कांस्य पदक पर कब्जा किया. भारत ने इस तरह पेरिस पैरालंपिक में अपने पदकों की संख्या 25 पहुंचा दी है. भारत के पैरा जूडो खिलाड़ी कपिल परमार ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक अपने नाम किया. वह भारत के पहले पैरा जूडो के खिलाड़ी हैं, जिन्होंने पैरालंपिक में कोई पदक अपने नाम किया है.