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मध्यप्रदेश में स्कूली बच्चों के लिए एक दिन बैगलेस-डे, क्या है शिक्षा विभाग की योजना

मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग ने बच्चों के समग्र विकास के लिए अहम योजना बनाई है. इसके तहत बच्चों को कई गतिविधियों से जोड़ा जाएगा.

MP school Education Department
स्कूली बच्चों के लिए महीने में एक दिन बैगलेस डे (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 12, 2024, 9:58 AM IST

छिंदवाड़ा।स्कूली बच्चों के स्किल डेवलपमेंट के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने अहम निर्णय लिया है. इसके अनुसार महीने में एक शनिवार बच्चे बिना बैग के स्कूल आएंगे. बच्चों का खेल-खेल में स्किल डेवलपमेंट कराया जाएगा. योजना के अनुसार कक्षा 6 से 8 तक के स्टूडेंट्स का समग्र विकास करने के लिए महीने में एक दिन बैगलेस-डे दिन होगा. इस दिन बच्चों के लिए सांस्कृतिक, साहित्यिक एवं व्यावहारिक गतिविधियां की जाएंगी. इस संबंध में राज्य शिक्षा केन्द्र ने जिला शिक्षाधिकारियों और जिला परियोजना समन्वयक को निर्देश जारी किये हैं.

प्रत्येक माह एक शनिवार बैग के साथ स्कूल नहीं जाएंगे बच्चे

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में यह प्रावधान रखा गया है कि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे 21वीं सदी के कौशल से परिचित हो सकें, इसके लिये कक्षा-6 से 8 तक के बच्चों के लिये प्रत्येक माह में एक शनिवार को बैगलैस-डे का आयोजन हो. इन दिवसों में विद्यार्थियों को स्किल डेवलपमेंट की जानकारी दी जाए. जिला शिक्षा अधिकारी गोपाल सिंह बघेल ने बताया "बैगलेस-डे के लिये स्कूल के प्राचार्य एवं शिक्षकों को चर्चा कर गतिविधियों का कैलेंडर तैयार करने के लिये भी कहा गया है."

स्कूली बच्चों को पढ़ाई के अलावा अन्य गतिविधियां सिखाई जाएंगी (ETV BHARAT)

बहुआयामी है बैगलेस-डे का उद्देश्य

बैगलेस-डे का उद्देश्य विद्यार्थियों को सफल, नवाचारी और जिम्मेदार नागरिक के रूप में तैयार करना है. इसी के साथ विद्यार्थियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण, साक्ष्य आधारित सोच और रचनात्मकता का विकास करना है. विद्यार्थियों में संवाद, विचार अभिव्यक्ति, स्वास्थ्य एवं पोषण, खेल सहयोग की भावना एवं नेतृत्व गुण के साथ भारतीय ज्ञान परम्परा और पर्यावरणीय चेतना का विकास करना प्रमुख है. राज्य शिक्षा केन्द्र ने बैगलेस-डे में होने वाली गतिविधियों के संबंध में भी दिशा-निर्देश भी दिए हैं. ऑर्ट और क्रॉफ्ट में बच्चों के बीच में ड्राइंग, पेंटिंग, मिट्टी के खिलौनों का निर्माण, मुखौटे, डॉल-मेकिंग और कबाड़ से जुगाड़ जैसे काम सिखाए जाएंगे. इसके साथ ही साहित्यिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में बच्चों के बीच लोकगीत-नृत्य, लघु नाटिका, कविता पाठ, कहानी लेखन गतिविधियां की जाएंगी.

नेचुरल तरीके से आधुनिक खेती के गुर सीखेंगे बच्चे

बच्चों को खेती की आधुनिक पद्धतियों की जानकारी हो सके, इसके लिये पॉलीफॉर्मिंग, ऑर्गेनिक फॉर्मिंग, औषधीय पौधों की जानकारियां और खेती में उपयोग होने वाले आधुनिक उपकरणों की जानकारी दी जाएगी. साथ ही बच्चों को ऐतिहासिक स्थलों, लघु उद्योग व्यवसाय जिनमें मधुमक्खी-पालन, मुर्गी एवं मछली-पालन इत्यादि की जानकारी दी जाएगी. बच्चों को स्थानीय बैंक, पुलिस थाना, अस्पताल और अनाज मंडी का फील्ड विजिट भी कराया जाएगा. बच्चों को हथकरघा, खिलौने निर्माण जैसी इकाइयों का भ्रमण कराया जाएगा. इसी के साथ बच्चों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण की जानकारी देने के साथ खेल गतिविधियां भी कराई जाएंगी.

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