कानपुर:आमतौर पर जब बात श्रम विभाग के अफसरों की कार्यशैली को लेकर होती है तो दावा किया जाता है कि सारा काम बेहतर ढंग से हो रहा है. लेकिन विभागीय अफसर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे और कन्या सहायता योजना के तहत 10.78 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा हो गया. अफसरों की जांच में अभी तक सामने आया है कि एक विभागीय अफसर की आईडी से वेब पोर्टल पर लॉग इन अपात्रों को लाभ पहुंचाया गया. फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद से विभाग का कोई अफसर कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है. जिस योजना में फर्जीवाड़ा हुआ है, वो उत्तर प्रदेश भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की ओर से संचालित है.
201 श्रमिकों को हुआ फर्जी भुगतान: हैरान करने वाली बात यह है कि योजना में हर आवेदक के लिए एक साल पुराना पंजीयन अनिवार्य है. ऐसे में 27 जनवरी की शाम को जब वेब पोर्टल का परिक्षण किया गया था तो सामने आया कि कन्या विवाह सहायता योजना में कुल 463 आवेदकों ने आवेदन किया. जिसमें से एक अपर श्रमायुक्त स्तर के अधिकारी के लॉग इन से 201 श्रमिकों को 10.78 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया. इसकी पुष्टि बीएसएनएल के रिकॉर्ड से हुई. वहीं आवेदकों के मोबाइल नंबर व आधार नंबर को पोर्टल के पुराने पेज से अपडेट किया गया.
योजना आवेदन संख्या अलग, नाम एक:उक्त योजना के तहत जिन अपात्रों को भुगतान किया गया, उसमें सभी के आवेदन संख्या अलग-अलग दिख रहे हैं. लेकिन कई आवेदकों के नाम दो बार प्रदर्शित हुए. जो बड़े फर्जीवाड़े की ओर इशारा कर रहे हैं.
कन्या विवाह सहायता योजना में ये मदद मिलती है
- 55 हजार रुपये प्रति वर्ष आवेदक के खातों में भेजा जाता है.
- केवल दो कन्याओं के लिए ही योजना का लाभ ले सकते हैं.
- आवेदक का बीओसीडब्ल्यू बोर्ड में एक साल पहले पुराना पंजीयन होना चाहिए.