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72 साल बाद सोमवार से हुई सावन की शुरुआत, भोले की भक्ति में डूबा प्रदेश... शिवालयों में उमड़ी भीड़ - Sawan 2024 - SAWAN 2024

72 साल बाद सावन की शुरुआत सोमवार से हुई है. जयपुर के प्रमुख शिव मंदिरों में सुबह से ही भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा. सावन के पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बना है. इस योग में सावन के शुरू होने को बेहद शुभ माना जा रहा है.

FIRST SOMWAR OF SAWAN
सोमवार से सावन की शुरुआत (PHOTO : ETV BHARAT)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 22, 2024, 12:58 PM IST

सोमवार से सावन की शुरुआत (VIDEO : ETV BHARAT)

जयपुर. भगवान भोलेनाथ का प्रिय सावन का महीना सोमवार से शुरू हो गया है. सावन के पहले ही दिन पहला सोमवार होने का 72 साल बाद दुर्लभ संयोग बना है. ऐसे में इस खास दिन भक्त अपने भगवान को रिझाने के लिए शिवालयों में पहुंचे. यहां महादेव का जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक किया गया. खास बात यह है कि इस बार सावन महीने का समापन भी सोमवार को ही होगा.

छोटी काशी सोमवार को बोल बम ताड़क बम की जयकारों से गूंज उठी. सावन के पहले सोमवार पर महिला-पुरुष, बच्चे-बुजुर्ग हर वर्ग भगवान के दर्शन करने के लिए शिवालयों में पहुंचा. जयपुर की बसावट से पहले से मौजूद ताड़केश्वर महादेव मंदिर में सुबह से भक्तों का तांता लगा रहा. श्रद्धालु भगवान को जल अर्पित करने के लिए उत्साहित दिखे. इसके साथ ही भक्तों ने श्रद्धापूर्वक भगवान को दूध, धतूरा, ऋतु पुष्प, शमी पत्र और बिल्व पत्र चढ़ाते हुए मनोकामना भी मांगी. कुछ श्रद्धालुओं ने गलता तीर्थ से कावड़ लाकर भी भोलेनाथ का जलाभिषेक किया. वहीं महिलाओं ने अखंड सौभाग्य की प्राप्ति और युवतियों ने अच्छे वर की कामना के लिए व्रत भी रखा.

सावन के पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग : ज्योतिष आचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि सावन के पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बना है. इस योग में सावन के शुरू होने को बेहद शुभ माना जा रहा है. ऐसे में भगवान की आराधना करने वालों और सावन के सोमवार का व्रत रखने वालों पर भोलेनाथ की कृपा भी बरसेगी. सर्वार्थ सिद्धि योग में रुद्राभिषेक करने और व्रत करने से इच्छित फल की भी प्राप्ति होगी. साथ ही उन्होंने बताया कि सावन का महीना सनातन धर्मियों के पवित्र चातुर्मास में से एक माना जाता है. इस महीने को भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है. मान्यता है कि इसी महीने में समुद्र मंथन हुआ था, जिससे निकलने वाले हलाहल विष को कंठ में धारण कर भगवान ने सृष्टि को बचाया था. इस विष की उग्रता को शांत करने के लिए ही भोलेनाथ को जल अर्पित किया जाता है.

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बहरहाल, सावन के सोमवार पर न सिर्फ ताड़केश्वर जी मंदिर बल्कि छोटी काशी के अन्य प्रमुख झारखंड महादेव, जागेश्वर महादेव, रोजगारेश्वर महादेव, चमत्कारेश्वर महादेव मंदिर सहित अन्य शिवालयों में भी भक्त अपने भगवान को जल अर्पित करने के लिए पहुंचे और छोटी काशी पूरी तरह शिवमयी नजर आई.

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