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'कुदाल लगते ही बहने लगी थी खून की धारा', शिवलिंग को उखाड़ने में हाथी-घोड़ा भी नाकाम, 400 साल पुराना इतिहास - Sawan 2024

Broken Shivling In Gopalganj: शिव की महिमा अपरंपार है. सावन के पवित्र महीने में आज हम आपको बिहार के एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका इतिहास 400 साल पुराना है. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां के शिवलिंग को उखाड़ने के लिए काफी कोशिश की गई थी लेकिन महादेव हिले तक नहीं. हाथी-घोड़ा की ताकत भी काम नहीं आई. आधे कटे हुए शिवलिंग को लेकर कई अद्भूत किस्से हैं. पढ़ें पूरी खबर.

गोपालगंज स्थित खंडित शिवलिंग की महिला अपार
गोपालगंज स्थित खंडित शिवलिंग की महिला अपार (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 10, 2024, 11:25 AM IST

गोपालगंज स्थित खंडित शिवलिंग की महिला अपार (ETV Bharat)

गोपालगंजःसावन माह भगवान शिव को काफी प्रिय होता है. यही कारण है कि इस पूरे महीने शिव मंदिरों और शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है. हर कोई इस पावन महीने में भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक करते हुए नजर आ जाते हैं. बिहार में कई ऐसे शिवालय और शिव लिंग आज भी मौजूद हैं, जो अपने आप में इतिहास को समेटे हुए हैं. इससे कई पौराणिक मान्यता भी जुड़ी हैं. इसी में शामिल है गोलापालगंज का आधा कटा हुआ शिवलिंग.

सावन के मौके पर मंदिर में मौजूद मंदिर कमिटि के सदस्य (d)

400 साल पुराना इतिहासः दरअसल हम बात कर रहे हैं जिले के मांझागढ़ प्रखंड के दानापुर शिव मंदिर की. इसकी कहानी अद्भुत और रहस्यमयी है. इस शिवलिंग से जुड़ी एक रोचक घटना चार सौ वर्ष पूर्व घटी थी. जब एक किसान अपने खेत में खेती कर रहा था, तभी अचानक उसका कुदाल शिवलिंग पर लग गया. शिवलिंग से खून की धारा बहने लगी थी. इस चमत्कारी घटना ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी थी. आज भी प्रमाण के तौर पर आधा कटा हुआ शिवलिंग है.

सावन के मौके पर मंदिर परिसर में मौजूद श्रद्धालु (ETV Bharat)

हाथी भी नहीं हिला पाया शिवलिंगः शिवलिंग की घटना के बारे में सुनकर मांझागढ़ के राजा भी पहुंचे. उन्होंने इस अलौकिक शिवलिंग को अपने किला में ले जाने का फैसला किया. इसके लिए पहले उन्होंने मजदूरों से शिव लिंग उठाकर किला के पास लाने का आदेश दिया लेकिन मजदूरों ने शिवलिंग नहीं उठ सका. तब उन्होंने हाथियों का उपयोग करने का आदेश दिया. कई हाथियों को लगाकर शिवलिंग को खींचने का प्रयास किया गया, लेकिन सभी प्रयास विफल रहे.

"इस मंदिर का इतिहास 400 साल पुराना है. माना जाता है कि कुदाल लगने के कारण शिवलिंग खंडित हो गया था. उस दौरान शिवलिंग से खून की धारा बहने लगी थी. राजा को जब पता चला तो वह शिवलिंग को लेने के लिए पहुंचा. मजदूर, हाथी, घोड़ा सबने पूरी ताकत लगा ली लेकिन शिवलिंग को नहीं हिला सका. बिहार के साथ साथ यूपी के श्रद्धालु भी यहां आते हैं."-अशोक साह, केयर टेकर

दूर-दूर तक फैली है ख्यातिः शिवलिंग अपनी जगह से हिलने को तैयार ही नहीं था. राजा के बार-बार के प्रयासों के बाद भी जब शिवलिंग को स्थानांतरित नहीं किया जा सका. राजा समझ गया कि यह शिवजी की इच्छा है कि वे यहीं स्थापित रहेंगे. इसके बाद राजा ने प्रयास छोड़ दिया और वही उनको स्थान दे दिया. इसके बाद धीरे धीरे इसकी ख्याति दूर दूर तक फैलने लगी.

सावन के मौके पर मंदिर में जलाभिषेक करते श्रद्धालु (ETV Bharat)

180 फीट ऊंचा है मंदिरः वर्तमान में मंदिर की ऊंचाई 180 फीट है. स्थानीय जनप्रतिनिधि और लोगों के सहयोग से यह बनकर तैयार हुआ है. इस मंदिर के गर्भगृह को आकर्षक तरीके से विभिन्न देवी देवताओं के चित्र के साथ सजाया गया है. पूरा मंदिर परिसर में सीसीटीवी कैमरा लगा है. इस खंडित शिवलिंग की पूजा अर्चना करने के लिए दूर दूर से भक्त आते हैं.

मंंदिर तक पहुंचने के कोई सड़क नहींः इस शिवलिंग से जुड़ी यह अद्भुत घटना लोगों के लिए आस्था का केंद्र बना है लेकिन हैरानी कि बात यह है कि विभिन्न सुविधाओं से लैस इस ऐतिहासिक और चमत्कारी शिवलिंग के पास पहुंचने के लिए आज तक कोई सड़क नहीं बन सकी. जिसके कारण श्रद्धालु और भक्तों को खेतो के पगडंडी या फिर लोगों के खेतो से होकर आवागमन करना मजबूरी है.

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