लखनऊ: अयोध्या के भदरसा में 12 साल की बच्ची से गैंगरेप के मामले में सोमवार को हाईकोर्ट में सीलबंद डीएनए रिपोर्ट पेश होने के बाद अपर महाधिवकता विनोद साही ने बताया कि गैंगरेप के मामले में भ्रूण का डीएनए सिर्फ एक ही आरोपी से मैच हो सकता है. ऐसे में यह ये साबित करने के लिए काफी है कि पीड़िता के आरोप सही थे. बावजूद इसके सोशल मीडिया में मोईद खान को बेकसूर बताया जाने लगा.
हाईकोर्ट में बीते 20 वर्षों से आपराधिक मामलों में प्रैक्टिस कर रहे अधिवक्ता प्रिंस लेनिन कहते हैं कि, महाधिवक्ता का तर्क बिलकुल ठीक है. भ्रूण किसी का भी हो, डीएनए सिर्फ एक ही पुरुष का ही मैच करता है. यह कानून नहीं विज्ञान कहता है. ऐसे में यह कहना कि डीएनए सिर्फ राजू का मैच हुआ है तो दूसरा आरोपी मोईद बेकसूर है, यह गलत होगा. बल्कि यह गैगरेप होने कि संभावनाओं को और पुख्ता करता है कि जो बच्ची ने आरोप लगाए हैं वो सही हैं.
प्रिंस लेनिन कहते है कि आरोपियों पर केस चलाने के लिए नाबालिग के बयान ही काफी हैं. पीड़िता ने अज्ञात नहीं बल्कि नामजद लोगों पर गैंगरेप का आरोप लगाया है. ऐसे में यदि वह कोर्ट में आरोपियों की शिनाख्त कर लेते हैं तो मोईद व राजू का केस से बरी होना मुश्किल होगा. हां, ये जरूर है कि ट्रायल के समय यदि मोईद कुछ हद तक यह साबित करने में कामयाब होता है कि वह घटना के समय वहां मौजूद ही नहीं था तो संभावना है कि कुछ राहत मिल सके.
अधिवक्ता प्रिंस कहते है कि, पॉक्सो के मामले में नाबालिग के बयान ही बहुत महत्वपूर्ण होते हैं. बच्ची ने मजिस्ट्रेट के सामने FIR दर्ज होने के बाद अपने दिए हुए बयान में दोनों आरोपियों के नाम बताए हैं तो वह बहुत महत्वपूर्ण होता है. यदि ट्रायल के दौरान भी लड़की अपने उसी बयान पर अडिग रही तो मोईद इस केस में आरोपी बने रहेंगे.