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बेमौसम बारिश ने किया अन्नदाताओं को बर्बाद, ललिया ने लील ली मसूर की फसल, कृषि विभाग बेखबर

Bundelkhand Lentil Crop Ruined बेमौसम बारिश बुंदेलखंड के किसानों के लिए आफत का सबब बन गई. किसानों के खेतों में खड़ी मसूर की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है. इधर कृषि विभाग के किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने किसानों की बर्बाद हो चुकी मसूर की फसल की सुध नहीं ली.

bundelkhand lentil crop ruined
मसूर की फसल हुई बर्बाद

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 23, 2024, 3:52 PM IST

Updated : Feb 23, 2024, 4:05 PM IST

बारिश से मसूर की फसल हुई बर्बाद

सागर। बुंदेलखंड के किसान एक बार फिर प्रकृति की मार के चलते फसलों की बर्बादी झेल रहे हैं. बेमौसम बारिश और लगातार कोहरा छाया रहने के कारण सभी फसलों में तरह-तरह की रोग व्याधि के प्रकोप का असर देखने को मिल रहा है. खासकर मसूर की फसल में ललिया (लालिमा) रोग लग जाने के कारण फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है और करीब 80 से 90% नुकसान की आशंका है.

प्रकृति की मार से परेशान अन्नदाता

बुंदेलखंड के अन्नदाता को उम्मीद थी कि इस साल रबी के सीजन में चना और मसूर जैसी फैसले उसके लिए अच्छा मुनाफा देकर जाएगी. लेकिन प्रकृति की मार के चलते बुंदेलखंड में बड़े पैमाने पर उगाई जाने वाली मसूर की फसल बर्बाद हो गई है. जिले के देवरी विकासखंड में कई गांवों में 27 हजार हेक्टेयर में बोई गई मसूर की लहलहाती फसल को लालिया नामक रोग ने लील लिया है. इस बार किसानों को उम्मीद थी कि मसूर की फसल का बंपर उत्पादन मिलेगा लेकिन मसूर की लहलहाती फसल में लगातार कोहरा के चलते लालिया रोग ने तेजी से अपने आगोश में ले लिया और देखते ही देखते पूरे इलाके में हरी भरी लहलहाती मसूर की फसल लाल पड़ गई.

लाल होकर सूख गई मसूर की फसल

मौसम खुलने के बाद तेजी से फेले लालिया रोग से चंद दिनों में फसल के फूल और फलियां सूख गए. मसूर की पत्तियां एक तरह से लाल राख में बदल गई. फलियों में दाने भी नहीं भर पाया था और पूरी फसल लाल होकर सूख गई. देवरी विकासखंड में बोई गई मसूर की फसल को 80 से 90% तक के नुकसान का अनुमान है. किसानों का कहना है कि मसूर की फसल में भारी नुकसान हुआ है और एक तरह से पूरी फसल बर्बाद हो गई है. फसल से किसी तरह की उम्मीद नहीं है.

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कृषि विभाग ने नहीं ली फसलों की सुध

कृषि विभाग के कोई भी जिम्मेदार अधिकारी किसानों की बर्बाद हो चुकी मसूर की फसल को देखने के लिए खेतों तक नहीं पहुंचे हैं. कृषि विभाग के अधिकारी महज 15 फरवरी तक नुकसान की बात कर रहे हैं. एसएडीओ कमल खरते का कहना है कि ''जब पाला पड़ा था, जिन फसलों में फूलों और फल्लियां आ गई थी, उन फसलों को तो नुकसान हुआ है. लेकिन जिन फसलों में फूल और फल्लियां नहीं आई थी, वहां पर मसूर की फसल को नुकसान नहीं हुआ है.'' कृषि विभाग का मानना है कि ''जिन किसानों ने मसूर की पहले बुवाई कर ली थी, उनकी फसलों को नुकसान हुआ है और इलाके में ज्यादातर मसूर की बुवाई देरी से हुई है.

Last Updated : Feb 23, 2024, 4:05 PM IST

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