सागर. बुंदेलखंड अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए पूरे देश और दुनिया में मशहूर है. यहां के मंदिर और मूर्तिकला ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा है. बुंदेलखंड में विश्वप्रसिद्ध खजुराहो, ओरछा और दतिया जैसे स्थान हैं. तो सागर जिले के रहली में मां दुर्गा के प्राचीन मंदिर भक्तों के लिए आस्था का केंद्र हैं. सागर जिले के रहली विकासखंड में रहली जबलपुर मार्ग पर स्थित टिकीटोरिया मंदिर करीब चार सौ साल पुराना मंदिर है, जिसका निर्माण एक पहाड़ी पर मराठा रानी लक्ष्मीबाई खेर ने कराया था. इस मंदिर तक पहले पहुंचना बेहद चुनौतीपूर्ण था पर अब यहां अत्याधुनिक रोपवे तैयार किया जा रहा है.
रोप-वे बनने से आसान होंगे दर्शन
पहले इस मंदिर पर पहुंचने के लिए काफी चुनौतीपूर्ण चढ़ाई करनी पड़ती थी, लेकिन माता के भक्तों के लिए यहां करीब साढ़े तीन सौ सीढ़ियां तैयार कर मंदिर पहुंचने के लिए आसान रास्ता बनाया गया, साथ ही अब यहां पर अत्याधुनिक तकनीक से रोप वे बनाया जा रहा है, जिससे आसान से माता के दर्शन हो सकेंगे और बुजुर्ग और दिव्यांगों को खासी सहूलियत भी मिल जाएगी.
रहली जबलपुर मार्ग पर स्थित है ये मंदिर
जिले के रहली विकासखंड मुख्यालय से महज पांच किमी दूर जबलपुर मार्ग पर टिकीटोरिया मंदिर स्थित है. यहां एक सीधी पहाड़ी पर देवी मां का ऐतिहासिक मंदिर स्थापित है. सीधी चढ़ाई होने और करीब साढ़े तीन सौ सीढ़ियों के कारण इसे बुंदेलखंड की मैहर के नाम से भी जाना जाता है. यहां पर मां सिंहवाहनी की अष्टभुजाधारी मनमोहक प्रतिमा स्थापित है। मंदिर के इतिहास पर गौर करें, तो इसका निर्माण सागर की मराठा रानी लक्ष्मीबाई खैर ने कराया था. वो काफी धर्मप्रिय थी और उन्होंने सागर और रहली में कई मंदिरों का निर्माण कराया. पहले इस मंदिर तक पहुंचना आसान नहीं था, सीढ़ियां न होने के कारण लोग पहाड़ों पर पेड़ के सहारे चढ़कर मंदिर तक पहुंचते थे. लेकिन भक्तों के सहयोग से धीरे-धीरे मंदिर में कई कार्य कराए गए और अब मंदिर पहुंचने के लिए 350 सीढ़ियां हैं.
टिकीटोरिया में बन रहा है अत्याधुनिक रोप वे
धार्मिक पर्यटन के लिहाज से बुंदेलखंड में टिकीटोरिया मंदिर काफी प्रसिद्ध है. आम दिनों के अलावा नवरात्रि के अवसर पर श्रृद्धालु काफी संख्या में टिकीटोरिया पहुंचते हैं और पहाड़ चढ़कर माता के दर्शन करते हैं. लेकिन स्थानीय विधायक और पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव ने यहां बुंदेलखंड के सबसे पहले रोप वे की स्थापना की नींव रखी है. अब निशक्त, दिव्यांग और बुजुर्ग भी आसानी से मां सिंहवाहनी के दर्शन कर सकेंगे. रोप वे का तेजी से चल रहा है. इसे एक धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के प्रयास में 200 मीटर लंबा रोपवे बनाया जा रहा है. ये रोप वे वर्नाकुलर तकनीक से बनाया जा रहा है.