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बुंदेलखंड के किसानों को धनवान बना रहा रंगीला पोटैटो, इन रंगों के आलू की जानिए खासियत - SAGAR COLORFUL POTATO

मध्य प्रदेश में बुंदेलखंड इलाके के किसान खेती में नए-नए प्रयोग कर रहे हैं. सागर जिले में रंग-बिरंगे आलूओं की खेती हो रही है.

SAGAR COLORFUL POTATO
बुंदेलखंड के किसानों को धनवान बना रहा रंगीला पोटैटो (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 5 hours ago

Updated : 3 hours ago

सागर: आमतौर पर परंपरागत खेती करने वाला बुंदेलखंड का किसान अब आधुनिक खेती की तरफ रूख कर रहा है. प्रयोग के तौर पर कई तरह की नई फसलें और सब्जियां उगा रहा है. सागर के किसान सब्जियों के मामले में नए-नए प्रयोग कर खेती के नवाचार के लिए मशहूर भी हो रहे हैं. इसी कड़ी में सागर में किसानों ने सामान्य आलू के साथ रंग-बिरंगे आलू उगाना शुरू किया है. बताया जाता है कि इनमें औषधीय गुण अच्छे होने के कारण सामान्य आलू से रंग बिरंगे आलुओं की कीमत ज्यादा मिलती है.

हालांकि उद्यानिकी विभाग का कहना है कि फिलहाल यहां पर प्रयोग के तौर पर कुछ किसानों को रंग-बिरंगे आलू उगाने कहा गया है. हालांकि जो इनके औषधीय और सेहत वाले गुण बताए जा रहे हैं. उनको लेकर हमें अधिकृत शोध नहीं मिला है. बाजार में इनकी मांग देखकर भावी रणनीति बनाएंगे.

सागर के रंगीले आलू की खासियत (ETV Bharat)

परंपरागत खेती की जगह नवाचार

वैसे तो बुंदेलखंड में किसान परंपरागत खेती पर ज्यादा ध्यान देते हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में यहां पर सब्जी की खेती की तरफ किसानों का रूझान ज्यादा बढ़ा है. सब्जी की खेती में यहां के किसान कई तरह प्रयोग भी कर रहे हैं और नई किस्मों की सब्जी उगाकर मुनाफा कमाने की कोशिश कर रहा है. ऐसे में आलू की खेती करने वाला किसान अब सामान्य आलू छोड़कर रंग-बिरंगे आलू की तरफ रूख कर रहा है.

दरअसल, किसानों का मानना है कि इन रंग-बिरंगे आलुओं के औषधीय और पोषण गुण सामान्य आलू से बेहतर होते हैं, इसलिए ये महंगे बिकते हैं. ऐसे में सागर के प्रगतिशील युवा किसान आकाश चौरसिया की पहल पर बुंदेलखंड के किसान लाल, नीले और काले आलू की खेती करने का प्रशिक्षण हासिल कर नवाचार से जुड़ रहे हैं. हालांकि इनका उत्पादन कैसा होगा और इनका मार्केट कहां मिलेगा. ये भविष्य की बात है, लेकिन नवाचार के जरिए किसान इन प्रयोगों से जुड़ रहे हैं. आइए जानते हैं कि नीले, काले और लाल आलू की क्या खासियत है.

सागर रंग-बिरंगे आलू की खेती (ETV Bharat)

नीलकंठ कुफरी, काला आलू, लाल पहाड़ी आलू की किस्म पर किस्मत आजमा सकते हैं. यह आलू उन्हें मालामाल कर सकते हैं.

लाल काला नीला आलू की खेती में उतनी ही मेहनत और समय लगता है. जितना सामान्य आलू की खेती में लगता है, लेकिन इनके गुणों की वजह मार्केट में कीमत दो से तीन गुना तक मिल जाती है.

सागर में आलू की खेती में नवाचार करते युवा (ETV Bharat)

काला आलू-मूल रूप से दक्षिणी अमेरिका के जंगलों में पाए जाने वाला कंद है. कहा जाता है कि काले आलू में आयरन और ओमेगा- 3 अच्छी मात्रा में पाया जाता है. खास बात ये है कि जिस तरह से सामान्य आलू की खेती की जाती है. इसकी खेती भी वैसे ही कर सकते हैं. इसके अलावा आलू की प्रोसेसिंग के जरिए भी मोटी कमाई कर सकते हैं.

नीला आलू -इसे नीलकंठ कुफरी आलू के नाम से भी जानते हैं और ये आलू भारत का ही आलू है. शिमला अनुसंधान केंद्र द्वारा इसे विकसित किया गया है. इस आलू को विशेष तौर पर ठंडे प्रदेशों में उगाने के लिए विकसित किया गया है. इसकी खास बात ये है कि ये आलू अपने कैंसररोधी गुणों के लिए मशहूर है और इसकी खेती पहाड़ी इलाकों में होती आयी है. अब बुंदेलखंड में नीलकंठ आलू की खेती किसान नवाचार के तौर पर कोशिश कर रहे हैं.

लाल आलू - इसे पहाड़ी आलू के नाम से भी जानते हैं. ये पश्चिम बंगाल के जंगलों में पाया जाने वाला कंद है. इसकी खासियत ये है कि आलू से दूर भागने वाला शुगर और डायबिटीज का मरीज भी आसानी से खा सकता है. उनके लिए कोई परेशानी नहीं होगी, क्योंकि इसको शुगर फ्री आलू भी कहा जाता है.

सामान्य आलू की तरह ही होती है खेती (ETV Bharat)

सामान्य आलू की तरह ही होती है इन आलू की खेती

इन रंग-बिरंगे औषधीय गुणों वाले आलू की खेती सामान्य आलू की तरह की जाती है, लेकिन इनकी खास बात ये है कि इन आलुओं को अपने औषधीय गुणों के कारण अच्छे दाम मिलते हैं. आमतौर पर नवंबर के आखिर में सर्दी बढ़ने पर आलू की खेती की जाती है. ये फसल 90 से 110 दिन के भीतर तैयार हो जाती है. एक एकड़ में इनका उत्पादन 100 से 250 क्विटंल तक होता है. सामान्य आलू की अपेक्षा किसानों को इसके दाम ज्यादा मिलते हैं.

क्या कहना है उद्यानिकी विभाग का

उद्यानिकी विभाग सागर के डिप्टी डायरेक्टर पीएस बडोले बताते हैं कि रंग-बिरंगे आलू की खेती को अभी कुछ किसानों से हम प्रयोग के तौर पर करा रहे हैं, लेकिन जो इनके औषधीय और पोषक गुणों के बारे में कहा जा रहा है. उसकी अधिकृत रिसर्च हमारे पास नहीं है. प्रयोग के तौर पर जो किसान इनका उत्पादन कर रहे हैं, उनके परिणाम आने और मार्केट उपलब्ध होने के हिसाब से हम आगामी रणनीति बनाएंगे.

Last Updated : 3 hours ago

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