सागर। वो समय दूर नहीं, जब पिछड़ेपन के लिए मशहूर बुंदेलखंड की तस्वीर और तकदीर बदली हुई नजर आएगी. दरअसल, देश में बिछाए जा रहे सड़कों के जाल के चलते एमपी और यूपी के बुंदेलखंड के विकास की नई इबारत लिखी जाएगी. एक तरह से खेती और मजदूरी पर निर्भर रहने वाला बुंदेलखंड उद्योग और व्यावसाय के लिए जाना जाएगा. अपनी ऐतिहासिक विरासत के साथ, पर्यटन, खनिज संसाधन, वन्यजीव पर्यटन के लिए मशहूर बुंदेलखंड देश के नक्शे पर पिछड़े हुए नहीं बल्कि अग्रणी अंचल के रूप में जाना जाएगा. जो दो नेशनल हाईवे बुंदेलखंड की तस्वीर और तकदीर बदलेंगे उनमें कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश को एक सूत्र में पिरोने वाला एनएच 44 है जो देश के बीचों-बीच बसे बुंदेलखंड की तकदीर बदलने का काम कर रहा है. दूसरी तरफ सागर के सहारे भोपाल के जरिए इंदौर और कानपुर को जोड़ने के लिए बनाए जा रहे भोपाल-कानपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर बुंदेलखंड में विकास के नए कीर्तमान गढ़ेगा.
भोपाल-कानपुर कॉरीडोर में बुंदेलखंड बनेगा सेतु
यूपी का कानपुर और मध्य प्रदेश के भोपाल-इंदौर इस भोपाल-कानपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर के जरिए आपस में जुड जाएंगे. खास बात ये है कि कॉरीडोर का सबसे ज्यादा फायदा यूपी और एमपी के बुंदेलखंड को होगा क्योंकि ये इलाका इन बड़े शहरों को जोड़ने के लिए सेतु का काम करेगा. ये हाइवे 526 किलोमीटर लंबा होगा. इसे बनाने का 3 साल का लक्ष्य रखा गया है और 2026 में पूरा हो जाएगा. फिलहाल बुंदेलखंड की बात करें तो यूपी के झांसी, महोबा, हमीरपुर के अलावा मध्य प्रदेश के सागर और छतरपुर के जरिए भोपाल और कानपुर सड़क मार्ग से जुड़ा है, लेकिन सागर कानपुर मार्ग टू लेन होने के कारण यातायात का भारी दबाब है. फिलहाल इसे फोर लेने बनाया जा रहा है और भविष्य में फोर प्लस टू यानी सिक्स लेन कर दिया जाएगा.
खुलेंगे बुंदेलखंड के तरक्की के द्वार
ये नेशनल हाईवे यूपी के बुंदेलखंड के महोबा कबरई और एमपी के छतरपुर और सागर से होकर गुजरेगा. जानकारों का कहना है कि इस मार्ग के पूरा होने पर भोपाल से कानपुर पहुंचने में महज 6 घंटे लगेंगे और बुंदेलखंड के खनन व्यावसाय, पर्यटन और कृषि आधारित व्यावसाय को पंख लगेंगे. इसके अलावा ट्रांसपोर्टेशन हब के साथ लाॅजिस्टिक हब के रूप में बुंदेलखंड आकार ले सकता है. कुल मिलाकर इस सड़क से पूरे बुंदेलखंड के तरक्की के द्वार खुलेंगे.
इन राज्यों से गुजरता है नेशनल हाईवे 44