पटनाः10 जुलाई को जब रुपौली विधानसभा उपचुनाव के लिए वोटिंग हुई तो NDA और महागठबंधन ने जीत के बड़े-बड़े दावे किए. किसी ने कहा कि रुपौली की जनता ने विकास को चुना है तो किसी ने दावा किया कि रुपौली की जनता को तेजस्वी पर भरोसा है. लेकिन जब रिजल्ट आया तो पता चला कि रुपौली की जनता को न विकास के दावे पर भरोसा है और न ही रोजगार के वादों पर ऐतबार.
निर्दलीय शंकर सिंह की हुई जीतः 13 जुलाई को जैसे-जैसे मतगणना आगे बढ़ रही थी सियासी दलों के नेताओं के चेहरे बुझते जा रहे थे. अंततः रुपौली में न तीर चला और न ही लालटेन जली. बाजी हाथ लगी निर्दलीय शंकर सिंह के, जिन्होंने जेडीयू के कलाधर मंडल को 8211 मतों से मात दे दी. जबकि पांच बार रही रुपौली की विधायक और आरजेडी कैंडिडेट बीमा भारती तीसरे नंबर पर रहीं.
क्यों हुआ उपचुनाव ?:2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में रूपौली से जेडीयू की प्रत्याशी के रूप में बीमा भारती ने जीत दर्ज की थी, लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव से पहले बीमा भारती में जेडीयू से इस्तीफा देकर आरजेडी कैंडिडेट के रूप में पूर्णिया लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन बीमा का ये दांव उल्टा पड़ गया और वो चुनाव हार गयी. यहां तक कि उनकी जमानत भी जब्त हो गयी. लोकसभा चुनाव लड़ने के कारण उन्होंने रुपौली विधानसभा के विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था.जिसके कारण रुपौली में उपचुनाव हुआ.
लोकसभा चुनाव में भी पूर्णिया का दिलचस्प परिणामः 2024 लोकसभा चुनाव में पूर्णिया सीट पर भी त्रिकोणीय मुकाबला हुआ था. जेडीयू से मौजूदा सांसद संतोष कुशवाहा तीसरी बार चुनावी मैदान में थे. जबकि महागठबंधन की ओर से आरजेडी ने बीमा भारती को मैदान में उतारा था. वहीं पूर्णिया से टिकट की आस में अपनी पार्टी का विलय करनेवाले पप्पू यादव को जब टिकट नहीं मिला तो वे निर्दलीय ही मैदान में उतर पड़े. परिणाम बेहद ही दिलचस्प रहा और निर्दलीय पप्पू यादव ने जेडीयू के संतोष कुशवाहा को 9347 वोट से मात दे दी.
लोकसभा चुनाव में भी दावे हुए थे फेलः 2024 लोकसभा चुनाव में भी बिहार के सभी राजनीतिक दल अपने-अपने गठबंधन की जीत का दावा कर रहे थे. एनडीए और INDI गठबंधन बिहार की सभी 40 सीट पर जीत का दावा कर रहे थे, लेकिन चुनाव परिणाम में एनडीए को नौ सीटों का नुकसान हुआ तो INDI गठबंधन महज 9 सीट पर ही सिमट कर रह गया. पूर्णिया लोकसभा सीट निर्दलीय पप्पू यादव के खाते में गई.
बड़े दलों के लिए परीक्षा था रुपौली उपचुनावःलोकसभा चुनाव परिणाम के बाद सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने प्रदर्शन को लेकर समीक्षा बैठक की थी. कर्मियों को दूर करने का निर्देश दिया गया और आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारी करने का कार्यकर्ताओं को आदेश दिया गया. रुपौली विधानसभा का उपचुनाव इन राजनीतिक दलों के लिए पहला टेस्ट था. लेकिन इस टेस्ट में बिहार के सभी बड़े राजनीतिक दल फेल हो गये. पूर्णिया लोकसभा चुनाव की ही तर्ज पर रुपौली की जनता ने बड़े दलीय प्रत्याशी के मुकाबले निर्दलीय प्रत्याशी पर अपना भरोसा जताया.
चुनाव परिणाम पर जेडीयू की प्रतिक्रिया: रुपौली में हार पर जेडीयू की प्रवक्ता अंजुम आरा का कहना है कि " रुपौली का रिजल्ट आरजेडी के लिए एक सबक है. आरजेडी के लिए यह सोचने की बात है कि अन्य प्रदेश में INDI गठबंधन के प्रत्याशियों की जीत हुई जबकि बिहार में आरजेडी तीसरे नंबर पर रहा." हालांकि अंजुम आरा ने भी कहा कि "पार्टी हार के कारणों की समीक्षा करेगी."