इंदौर:केंद्र सरकार के एक फैसले के बाद आखिरकार आरएसएस को प्रतिबंधित संगठनों की सूची से हटा दिया गया है. इस फैसले के बाद अब संघ के भाजपा के साथ पॉलिटिकल कनेक्शन को लेकर भी स्वयंसेवक संघ पर सवाल उठ रहे हैं. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद और वकील विवेक तन्खा ने स्वयंसेवक संघ से भाजपा के राजनीतिक संबंधों पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है. उन्होंने कहा अब जबकि संघ के पक्ष में कोर्ट का फैसला आ चुका है तो कहीं ना कहीं संघ को इस बात का शपथ पत्र देना चाहिए कि संघ के भाजपा से कोई राजनीतिक कनेक्शन नहीं हैं और संघ एक स्वयंसेवी और सांस्कृतिक संगठन है.
'बीजेपी से पॉलिटिकल कनेक्शन को लेकर सवाल'
इंदौर पहुंचेएडवोकेट विवेक तन्खा ने आरएसएस के बीजेपी से पॉलिटिकल कनेक्शन को लेकर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि "जजमेंट में जो बातें कही गई हैं वह जरूरी नहीं थी क्योंकि आरएसएस का प्रतिबंध कोर्ट ने नहीं बल्कि केंद्र सरकार ने हटाया है. जजों ने आरएसएस के लिए जो टिप्पणी की उसे कोर्ट की भाषा में ओबिटर डिक्टम कहते हैं जो केस के लिए जरूरी नहीं थी. यह कोई कानून नहीं बल्कि सिर्फ जजों की व्यक्तिगत राय थी. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भी कई बार बोल चुका है कि जजों को अपने निजी विचार फसलों में व्यक्त नहीं करना चाहिए, यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए भी जरूरी है."
'बीजेपी कनेक्शन को लेकर संघ दे शपथ पत्र'
एडवोकेट विवेक तन्खा ने कहा कि "प्रतिबंध हटाने के बाद अब आरएसएस को यह बताना चाहिए कि वह राजनीतिक संगठन है कि नहीं. यदि नहीं है तो अगर आरएसएस चुनाव में बीजेपी का प्रबंधन या समर्थन करती है तो यह गलत है, क्योंकि फिर सरकारी कर्मचारी आरएसएस के सदस्य नहीं बन सकते. आरएसएस को शपथ पत्र के जरिए अब बताना चाहिए कि हम सांस्कृतिक संगठन हैं और हमारा बीजेपी से कोई लेना-देना नहीं है. यदि ऐसा नहीं होता है तो हमेशा यह विवाद रहेगा. आप सरकारी नौकरी में होकर किसी पार्टी से संबंध रखते हुए उसमें शामिल नहीं कर सकते. यह बात संघ को जनता के सामने स्पष्ट करना चाहिए. आरएसएस को अब खुद बताना पड़ेगा कि उसका कैरेक्टर क्या है."