रोहतक: पीजीआईएमएस रोहतक के न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने 14 साल के एक लड़के के सिर में घुसे रॉड को निकालकर उसकी जान बचा ली. लड़के को गंभीर स्थिति में इलाज के लिए यहां लाया गया था. रॉड किशोर के मस्तिष्क में प्रवेश कर गई थी. फिलहाल लड़के की हालत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है.
"जान बचाना काफी मुश्किल लग रहा था" : पीजीआईएमएस के न्यूरो सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. ईश्वर सिंह और प्रोफेसर डॉ. गोपाल कृष्ण ने मंगलवार को बताया कि हाल ही में मेवात का रहने वाला 14 वर्षीय किशोर जब पीजीआईएमएस रोहतक के आपातकालीन विभाग में पहुंचा तो वो बेहोश था. हादसे में एक मेटल रॉड उसके सिर में घुस गई थी, जिससे मस्तिष्क को काफी नुकसान पहुंचा था. चोट के कारण लड़का बेहोश था और उसकी हालत गंभीर थी. चोट इतनी गंभीर थी कि उसकी जान बचाना काफी मुश्किल लग रहा था.
"थोड़ी सी चूक भारी पड़ सकती थी" : उन्होंने बताया कि न्यूरो सर्जिकल टीम मरीज को तुरंत ऑपरेटिंग रूम में ले गई, जहां उसकी जान बचाने के लिए एक न्यूरो सर्जिकल प्रक्रिया शुरू की गई. एक कठिन और जटिल सर्जरी जिसको मेडिकल टीम ने सबसे चुनौतीपूर्ण और जानलेवा ऑपरेशन में से एक बताया को पूरा किया. मरीज के मस्तिष्क से रॉड को सावधानीपूर्वक निकालना एक कठिन और नाजुक काम था. रॉड की वजह से खोपड़ी के बाएं हिस्से में फ्रैक्चर हो गया और ब्लीडिंग हो गई थी. डॉक्टरों ने सर्जरी के दौरान रॉड को बहुत ही सटीकता के साथ निकाला क्योंकि ज़रा सी गलती स्थायी न्यूरोलॉजिकल क्षति या यहां तक की मौत का कारण भी बन सकती थी.
चमत्कार से कम नहीं ये सर्जरी : न्यूरो सर्जरी विभाग की टीम ने मस्तिष्क को संरक्षित करने के लिए उन्नत इमेजिंग तकनीक और माइक्रोसर्जिकल उपकरणों सहित अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया. ऑपरेशन कई घंटों तक चला, लेकिन अंत में टीम रोगी के मस्तिष्क को और अधिक नुकसान पहुंचाए बिना रॉड को सफलतापूर्वक निकालने में सक्षम रही. सर्जरी के कुछ घंटों के भीतर लड़का होश में आने लगा. चोट की गंभीरता और सर्जरी की जटिलता को देखते हुए उसकी रिकवरी को चमत्कार से कम नहीं बताया गया है. कुछ ही दिनों में वो अपने परिवार और डॉक्टरों को पहचानने में सक्षम हो गया और सभी को आश्चर्यचकित करते हुए वो फिर से चलने लगा है.
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