लखनऊ: उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के सलोन में 19 हजार से ज्यादा फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मिलने के बाद हुई पड़ताल में पता चला कि इल सभी का इस्तमाल बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं को यूपी समेत अन्य राज्यों में बसाने के लिए किया जा रहा था. जन्म प्रमाण पत्र बनाने वाले जिशान समेत कई आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. अब इस मामले की जांच यूपी एटीएस कर रही है.
सूत्रों के मुताबिक, एटीएस की जांच में खुलासा हुआ है कि बांग्लादेश की सीमा से रोहिंग्याओं को अवैध रूप से भारत में घुसपैठ कराकर अधिकांश घुसपैठियों के कागजात यूपी में ही तैयार कराए जा रहे थे. हालांकि, इन्हें बसाया अन्य राज्यों में जा रहा था.
फर्जी कागजात बनाने का अड्डा बने छोटे जिले:अब तक की यूपी एटीएस की जांच में सामने आया है कि बांग्लादेश की सीमा से रोहिंग्याओं को पश्चिम बंगाल के रास्ते से यूपी के गोरखपुर, वाराणसी और कानपुर में लाकर रखा जाता था. इसके बाद इन सभी रोहिंग्याओं की तस्वीर खींचकर उनके दस्तावेजों को बनवाने की प्रक्रिया शुरू होती थी.
रोहिंग्या को भारतीय बनाने का गिरोह कैसे करता था काम:इसके लिए दलाल छोटे जिले जैसे रायबरेली, उन्नाव, बाराबंकी, बस्ती, संभल, सहारनपुर में अपने ऐसे एजेंट्स को जिम्मेदारी देते थे, जो पहले से ही जन सुविधा केंद्र चला रहे होते हैं. ये एजेंट उनके जन्म प्रमाण पत्र, जाति और निवास प्रमाण पत्र बनाते हैं. उसके बाद उसी के आधार पर आधार कार्ड बनवाकर उन्हें पहले से गोरखपुर, वाराणसी और कानपुर में ठहराए गए रोहिंग्याओं को बांट दिया जाता था.
भाषा-बोली के हिसाब से राज्यों में भेजे जाते थे रोहिंग्या: यूपी ATS के सूत्रों के मुताबिक, जांच में सामने आया है कि, यूपी के अलग अलग जिलों में दस्तावेज तैयार करवाने के बाद, रोहिंग्याओं को हिंदी बोलने की ट्रेनिंग दी जाती थी. करीब दो माह उन्हें भाषा सिखाने के बाद हर ग्रुप को उसके बोलने के लहजे के हिसाब से अलग-अलग राज्यों में भेजा जाता था. इसमें दिल्ली, केरल, कर्नाटक, राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश और जम्मू कश्मीर शामिल हैं.
दक्षिण के राज्यों में मजदूर के रूप में बस जाते रोहिंग्या:यहां ये रोहिंग्या यूपी के निवासी बनकर रहते और मजदूरी करते थे. जांच में यह भी सामने आया है कि यूपी में चुनाव के समय इन सभी रोहिंग्याओं को उनके दस्तावेज से संबंधित गांव भी बुलाया जाता. इतना ही नहीं इन्हें पैसों का लालच देकर इनसे देश विरोधी गतिविधियां भी अंजाम दिलाई जाती थीं, जिसमें सरकार के खिलाफ विद्रोह, गजबा ए हिंद के अभियान में शामिल होना, दंगों और हिंसा में शामिल होना आदि है.