उत्तरकाशी: चट्टानों की प्रकृति बड़कोट से निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग के निर्माण की रफ्तार रोक रही हैं. सुरंग निर्माण से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि अवसादी चट्टानों की प्रकृति कुछ ऐसी है कि बड़कोट छोर से सुरंग निर्माण को ज्यादा तेजी से अंजाम दे पाना संभव नहीं है. इसकी अपेक्षा सिलक्यारा छोर से सुरंग की खुदाई ज्यादा आसान है. भूस्खलन के मलबे और रिसाव से सुरंंग में जमा पानी के बाहर नहीं निकाले जाने के चलते सिलक्यारा छोर से सुरंग निर्माण का काम फिलहाल रोका गया है.
बता दें पिछले साल नवंबर महीने में टनल हादसे के बाद से यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा-पोलगांव सुरंग में सिलक्यारा छोर से निर्माण कार्य पूरी तरह बंद है. हादसे के बाद सुरंग के बड़कोट छोर से हल्का-फुल्का निर्माण चल रहा है, लेकिन इसे वैसी गति नहीं मिल पा रही है कि जिसकी उम्मीद की जा रही थी. इसके पीछे निर्माण से जुड़े अधिकारियों का तर्क है कि सिलक्यारा-बड़कोट में जिस पहाड़ी में साढ़े चार किमी लंबी सुरंग का निर्माण हो रहा है, उसमें अवसादी चट्टानों की प्रकृति ऐसी है कि यह उत्तर की तरफ बड़कोट की ओर चट्टानें डिप कर रही हैं. जिसके कारण जब बड़कोट की ओर से सुरंग की खुदाई की जाती है तो वहां चट्टान सीधे सिर के ऊपर गिरने का खतरा रहता है. ऐसे में वहां बहुत ज्यादा संभल कर काम करना पड़ता है. यही वजह है कि जहां बड़कोट से सुरंग की करीब 1714 मीटर तक खुदाई हुई है, दक्षिण वाले सिलक्यारा छोर से यह 2340 मीटर तक खोदा जा चुका है. हादसे के बाद बड़कोट छोर से मात्र 8 मीटर ही खुदाई हो पाई है.