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अब यात्रियों की जरूरत के मुताबिक चलेंगी रोडवेज बसें, कम लोड फैक्टर वाले रूटों से हटेंगी - UPSRTC

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम अब जिन रूटों पर यात्रियों की संख्या कम है, वहां से बसें हटाने की योजना बना रही है.

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 10 hours ago

Updated : 9 hours ago

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम अब यात्रियों की जरूरत के मुताबिक बसें संचालित करेगा. जिन रूटों पर सवारियां नहीं हैं, उनसे बसों को हटाकर जिस भी रूट पर ज्यादा डिमांड होगी, उस रूट पर यात्रियों के लिए बस चलाई जाएगी.

निगम की तरफ से प्रदेश के सभी मार्गों का सर्वे कराया जाएगा. प्रदेश के सैकड़ों ऐसे रूट हैं, जहां पर यात्रियों की संख्या काफी कम है फिर भी बसों का संचालन किया जा रहा है. इससे लोड फैक्टर आता नहीं है और खर्च ज्यादा बढ़ जाते हैं. अब इन रूटों से बेस हटेंगे और डिमांडिंग रूटों पर बसें बढ़ेंगी.

परिवहन निगम के प्रधान प्रबंधक व प्रवक्ता अजीत सिंह (Video Credit; ETV Bharat)
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रदेश भर में करीब 3000 रूट हैं. पहले करीब 1400 से कुछ ज्यादा ही रूट थे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गांव-गांव तक बसें पहुंचाने के लिए परिवहन निगम को निर्देशित किया तो फिर नए रूट सृजित किए गए. 1540 नए रूट बनाए गए. ऐसे में अब रूटों की संख्या 3000 के करीब पहुंच गई है. हालांकि रूट बढ़ रहे हैं, लेकिन यात्रियों की संख्या कम हो रही है. प्रदेश के कई ऐसे रूट है, जहां पर बसें खाली दौड़ती रहती हैं और इससे परिवहन निगम को हर माह बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है.

रूटों का सर्वे कराने की योजनाःअब यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए और अपने खर्चे कम करने के लिए परिवहन निगम ने रूटों का सर्वे कराने की योजना बनाई है. ऐसे रूट चिन्हित किए जा रहे हैं, जहां पर लोड फैक्टर 50 फीसद से नीचे रहता है. उन रूटों से बसें हटाकर ऐसे रूट जिन पर लोड फैक्टर 60 से 65% तक आता है, उन पर बसों को लगाया जाएगा, जिससे यात्रियों को देर तक बसों का इंतजार न करना पड़े. उन्हें समय से बस सेवा मिले और परिवहन निगम की बस भी खाली न दौड़े. निगम पर व्यय भार भी न बढ़े.

बसों का लोड फैक्टर ज्यादाःपरिवहन निगम के अधिकारी बताते हैं कि जल्द ही सभी रूटों का सर्वे कराया जाएगा. हर माह जब लोड फैक्टर की समीक्षा होती है तो कई ऐसे रूट चिन्हित भी किए गए हैं. जहां पर लोड फैक्टर 50 प्रतिशत से हर सीजन में कम ही रहता है. ऐसे में जिन डिपो के पास ज्यादा बसें होंगी और लोड फैक्टर कम आता होगा, वहां से बसें ऐसे डिपो को भेजी जाएंगी, जहां पर बसों का लोड फैक्टर ज्यादा है.

122 रूटों पर लोड फैक्टर 50 फीसद से कमःदिसंबर महीने में जब नवंबर माह के लोड फैक्टर की समीक्षा हुई तो सामने आया कि प्रदेश में 122 ऐसे रूट हैं जहां पर लोड फैक्टर 50 फीसद से नीचे है. अमूमन इन रूटों पर सीजन कोई भी हो यात्री कम ही रहते हैं. जिससे बसें तो दौड़ती हैं लेकिन परिवहन निगम को घाटा होता है. अब ऐसे ही रूटों से अतिरिक्त बसों को हटाकर जिन रूटों पर लोड फैक्टर 60 या 65 फीसद से ऊपर आ रहा है उन रूटों पर बसों को लगाया जाएगा.

लखनऊ के 28 रूट शामिलःप्रदेश के 122 रूटों में से लखनऊ के भी 28 ऐसे रूट हैं, जहां पर लोड फैक्टर काफी कम है. चारबाग-मौरावां- बीघापुर, चारबाग-गोंडा-शंकरगंज, चारबाग-मौरावां- हिलौली, चारबाग-मुरादाबाद-ऊंचागांव, आलमबाग- आगरा वाया एक्सप्रेस वे, आलमबाग-आजमगढ़- पूर्वांचल, आलमबाग-गाजीपुर, आलमबाग- गोरखपुर, आलमबाग-प्रयागराज-शक्ति नगर, आलमबाग-वाराणसी वाया सुल्तानपुर, चारबाग-छपिया, चारबाग-चित्रकूट, कैसरबाग-देहरादून, आलमबाग-आजमगढ़- पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, आलमबाग-आजमगढ़-बलिया-पूर्वांचल, आलमबाग-बांदा, आलमबाग- मऊ , आलमबाग- प्रयागराज, कैसरबाग-बलरामपुर-कानपुर, कैसरबाग- डुमरियागंज-कानपुर, कैसरबाग-गोरखपुर, कैसरबाग- कौशांबी, कैसरबाग-कोथावां-नीमसार, आलमबाग- वाराणसी, आलमबाग-वाराणसी-वाया प्रयागराज.

परिवहन निगम के बेड़े में करीब साढ़े 11 हजार बसेंःपरिवहन निगम के बस बड़े में करीब साढ़े 11 हजार बसे हैं जिनमें साढ़े आठ हजार बसें परिवहन निगम की अपनी हैं और 3000 बसें अनुबंधित हैं. रोडवेज बसें प्रदेश के विभिन्न डिपो से विभिन्न रूटों पर संचालित होती हैं. साढ़े 11 हजार बसें से हर रोज तकरीबन 18 लाख यात्री सफर करते हैं. लंबी दूरी के रूटों पर यात्रियों की संख्या छोटे रूटों की तुलना में ज्यादा रहती है.

100 से ज्यादा रूटों पर नुकसानःपरिवहन निगम के प्रधान प्रबंधक व प्रवक्ता अजीत सिंह का कहना है कि नए रूटों का सृजन किया गया था. लगभग 1540 नए रूट बनाए गए हैं. पहले से 1400 से कुछ ज्यादा रूट थे, तो कुल मिलाकर वर्तमान में 3000 के करीब परिवहन निगम के रूट हैं, जिन पर बसों का संचालन होता है. अब ऐसी योजना बनाई जा रही है कि जिन रूटों पर बसें तो हैं, लेकिन यात्रियों की संख्या कम है और लोड फैक्टर नहीं आता है, जिससे निगम को नुकसान होता है. उन बसों को ऐसे रूटों पर संचालित कराया जाए, जिन रूटों पर यात्रियों की संख्या ज्यादा हो. 100 से ज्यादा ऐसे रूट होंगे जहां पर बस संचालन का प्रतिफल अच्छा नहीं है.

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