लखनऊ :राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने समाजवादी पार्टी और इंडिया गठबंधन का साथ छोड़कर भारतीय जनता पार्टी के एनडीए गठबंधन में शामिल होने का फैसला लिया है. इससे यूपी में सपा को जोर का झटका लगा है. इंडिया गठबंधन को जयंत से ऐसी उम्मीद नहीं थी. जयंत ने जब एनडीए के साथ जाने का फैसला लिया तो यह खबरें जोर पकड़ने लगीं कि आरएलडी मुखिया के फैसले से उनकी अपनी ही पार्टी के कई विधायक नाराज हैं. वे आरएलडी का साथ छोड़कर समाजवादी पार्टी के साथ जा सकते हैं, लेकिन गुरुवार को आरएलडी मुखिया ने अपने सभी नौ विधायकों के साथ फोटो साझा की. इससे उन्होंने उन अटकलों पर विराम लगाने का प्रयास किया है कि उनके विधायक टूट सकते हैं. आरएलडी नेता बोले कि सभी विधायक एकजुट हैं. आरएलडी के नवरत्न एक साथ हैं.
लोकसभा चुनाव करीब आते ही राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने विधानसभा चुनाव वाला समाजवादी पार्टी के साथ अपना गठबंधन तोड़ दिया. उन्होंने सपा और इंडिया गठबंधन से पलटी मारते हुए एनडीए गठबंधन के साथ जाने का फैसला ले लिया. भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने जैसे ही किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का ऐलान किया वैसे ही आरएलडी मुखिया का दिल पिघल गया.
विधायकों के खफा होने की चल रहीं थीं चर्चाएं :जयंत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर किए गए ट्वीट को री ट्वीट करते हुए लिखा था कि दिल जीत लिया. इसके बाद सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज हो गईं कि जयंत अब समाजवादी पार्टी के साथ नहीं हैं. देश स्तर पर विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन के भी हिस्सेदार नहीं हैं. कुछ दिनों बाद सामने आकर जयंत ने भी इस पर मुहर लगा दी. जब यह सवाल उठे कि जयंत के इस फैसले से उनकी अपनी ही पार्टी के दो हिंदू विधायक और दो मुस्लिम विधायक खफा हैं और वह पार्टी के खिलाफ जाकर अपना फैसला ले सकते हैं.
आरएलडी के चार विधायक नहीं गए थे अयोध्या :विधायक आरएलडी छोड़कर समाजवादी पार्टी का हिस्सा हो सकते हैं. इस चर्चा ने उस समय और जोर पड़ा जब विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना सभी विधायकों को अयोध्या में भगवान राम के दर्शन करने की प्लानिंग कर रहे थे और जिस दिन सभी विधायक अयोध्या गए उस दिन आरएलडी के चार विधायक गायब रहे. हालांकि दो विधायकों ने अपने इस्लाम धर्म का हवाला देते हुए और दो विधायकों ने व्यस्तता बताते हुए सफाई दी लेकिन चर्चाएं तेज हुईं कि यह विधायक जयंत के फैसले से नाराज हैं और कोई खेल कर सकते हैं. इससे पार्टी में भी चिंताएं बढ़ने लगीं.
रालोद मुखिया ने सभी विधायकों के साथ की बैठक :आरएलडी के ही पदाधिकार्यों और कार्यकर्ताओं के साथ एनडीए गठबंधन के नेता भी चिंतित थे, उसी समय आरएलडी मुखिया जयंत चौधरी ने सभी को राहत की सांस लेने वाली खबर दी. गुरुवार को सभी विधायकों के साथ बैठक की. पार्टी की तरफ से एक फोटो साझा की गई जिसमें सभी नौ विधायक जयंत के साथ प्रसन्न मुद्रा में नजर आ रहे हैं. यह फोटो सामने आने के बाद आरएलडी के कार्यकर्ताओं ने राहत की सांस ली. एनडीए गठबंधन के नेताओं में भी अब संदेह खत्म हुआ. हालांकि इससे विपक्षी दलों के चेहरे मुरझा गए.
राज्यसभा चुनाव में निभाएंगे अहम भूमिका :राष्ट्रीय लोक दल के नौ विधायक राज्यसभा चुनाव में अहम भूमिका निभाएंगे. दरअसल, उत्तर प्रदेश में कुल 10 राज्यसभा सीटें खाली हैं. पहले तो यह तय था कि भारतीय जनता पार्टी के सात राज्यसभा प्रत्याशी आराम से सांसद बन जाएंगे और तीन समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सांसद बनने में सफल हो जाएंगे, लेकिन बीजेपी ने नामांकन के आखिरी दिन गुरुवार को खेल कर दिया. पार्टी की तरफ से आठवें प्रत्याशी के रूप में पूर्व राज्यसभा सांसद संजय सेठ को प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतार दिया गया. अब 10वीं सीट के लिए चुनाव होगा और इस चुनाव में आरएलडी के विधायकों का अहम रोल होगा. बीजेपी चिंतित थी कि कहीं रालोद में बिखराव तो नहीं, लेकिन जयंत ने सही समय पर सभी नौ विधायकों के साथ फोटो साझा कर बीजेपी को भी तसल्ली दी है.
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