रीवा:शहर स्थित कृष्णा राजकपूर ऑडिटोरियम में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन समारोह का आयोजन किया गया. अयोजित समारोह में मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल बतौर मुख्य अथिति शामिल हुए. वहीं कार्यक्रम को यादगार बनाने की लिए देश के प्रख्यात कई महान कवि शामिल हुए. कवियों की लिस्ट में एक नाम रीवा संभाग के आईजी महेंद्र सिंह सिकरवार "समीर" का था. अयोजित कार्यक्रम में आईजी की गढ़ी पुस्तक "इबारत" गजले और नजमे का उपमुख्यमंत्री ने विमोचन किया. जिसके बाद स्वच्छ रीवा नशा मुक्त रीवा का संदेश देते हुए काव्य संग्रह का आयोजन शुरू हुआ. जिसमें महान कवियों ने अपने हास्य कविता और मुशायरों से ऑडिटोरियम में बैठे हजारों श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया.
सख्ती और साहित्य के लिए जानें जाते है रीवा आईजी
आमतौर पर पुलिस महकमे से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों को उनके सख्त व्यवहार और कानून का डंडा चलाने के लिए जाना जाता है, लेकिन इसके इतर भी पुलिस अधिकारियों की एक अलग दुनिया है. पुलिस विभाग से जुड़े कुछ ऐसे अफसर और कर्मचारी भी है. जिनका जुड़ाव साहित्य के साथ-साथ और गीत और संगीत से भी है. ऐसे ही एक पुलिस अधिकारी हैं डॉ. महेंद्र सिंह सिकरवार "समीर" है. जो वर्तमान में रीवा संभाग के पुलिस महानिरीक्षक पद को सुशोभित कर रहे हैं.
आईजी की लिखी पुस्तक "इबारत" का डिप्टी सीएम ने किया विमोचन
आईजी महेंद्र सिंह सिकरवार ने अदब की महफिलों से नाता जोड़कर अपने सफर को काव्य की दुनिया में फैलाया है. जिसके लिए शनिवार को कृष्णा राजकपूर ऑडिटोरियम में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस दौरान रीवा आईजी महेंद्र सिंह सिकरवार के द्वारा गढ़ी गई, पुस्तक इबारत का डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला के द्वारा विमोचन किया गया. आयोजित कार्यक्रम में देश के कई प्रख्यात कवियों ने महफिल में समा बांधा और सामने बैठे लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया.
समीर के नाम से लिखते है गजल और नज्म
दरअसल, रीवा रेंज के आईजी महेंद्र सिंह सिकरवार फिलहाल समीर के नाम से गजल और नज्म (कविताएं) लिखते हैं. उन्होंने "इबारत" नाम से एक पुस्तक तैयार की है. जबकि उनकी पहचान एक सख्त पुलिस अधिकारी के तौर पर है. यानी सख्त के बीच साहित्य का मखमली तरन्नुम भी उन्होंने अपनी कलम से उगाया है. जिसे इबारत नाम से आकार दिया है.
स्व. कवि गोपाल दास नीरज से है आईजी का गहरा नाता
सिकरवार कहते हैं, "मन में था कि विचारों को सहेजना चाहिए. जिस पर उन्हें तरह-तरह की कविताएं, गजलें और नज्मों या कुल मिलाकर साहित्य के प्रति पहले से गहरी रुचि थी. इसके बाद से उन्होंने लिखना शुरू किया. उन्होंने देवनागरी में गजलें भी लिखी हैं. वहीं सारी नज्मे सरल उर्दू भाषा में हैं. उन्होंने मन के विचारों, आज की व्यवस्था सहित तमाम विषयों पर लिखा है. वे बताते हैं कि मैं नीरज (देश के जाने माने गीतकार स्वर्गीय गोपाल दास नीरज) के संपर्क में था. उनके अलावा भी बहुत सारे कवियों, गीतकारों और शायरों के संपर्क में हूं. साहित्य में रुचि के कारण यह मुकाम पर पहुंचा हूं."