जयपुर:राजधानी के सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के सामने फिर मुसीबत खड़ी हो गई है. रेजिडेंट डॉक्टर्स ने शनिवार रात 8:00 बजे से पूर्ण कार्य बहिष्कार का एलान किया. जिसके बाद रविवार को रेजिडेंट डॉक्टर्स ने इलेक्टिव सेवाओं के बाद इमरजेंसी सेवाओं का भी बहिष्कार किया. जिससे अस्पतालों में मरीजों की सांस फूलने लगी. ओपीडी और आईपीडी के साथ इमरजेंसी में भी हालात बिगड़ने लगे हैं. जिससे मरीज और उनके परिजन हैरान परेशान हो रहे हैं. वहीं एसएमएस मेडिकल कॉलेज के साथ अब अजमेर और बीकानेर मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट्स भी इस कार्य बहिष्कार के समर्थन में आए हैं.
रेजिडेंट डॉक्टर्स ने मांगों को लेकर फिर किया कार्य बहिष्कार (ETV Bharat Jaipur) बीते करीब 12 दिनों से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर चल रहे रेजिडेंट डॉक्टर्स ने अब राज्य सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए पूर्ण कार्य बहिष्कार का रुख अपनाया है. रेजिडेंट डॉक्टर्स का आरोप है कि सरकार उनकी जायज मांगों पर भी उचित कदम नहीं उठा रही है. 17 अक्टूबर को उनकी चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर के साथ वार्ता के बाद 48 घंटे का समय दिया गया था. ये समय पूरा होने के बाद भी सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया. जार्ड के अध्यक्ष डॉ मनोहर सियोल ने कहा कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने के बावजूद शासन और प्रशासन ने कोई उचित कदम नहीं उठाया. ऐसे में अब मजबूरन आईपीडी, ओपीडी और इमरजेंसी सभी सेवाओं का कार्य बहिष्कार करना पड़ रहा है.
पढ़ें:Rajasthan: रेजिडेंट चिकित्सकों की चेतावनी, सरकार ने मांगें नहीं मानी तो रात 8 बजे से होगा संपूर्ण कार्य बहिष्कार
उधर, बदलते मौसम में डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, स्क्रब टायफस जैसी बीमारियों के केस बढ़ने से अस्पतालों में मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. जिन्हें रेजिडेंट डॉक्टर्स की अनुपस्थिति में सीनियर डॉक्टर ही संभाल रहे हैं. लेकिन ओपीडी में घंटों इंतजार करने के बाद मरीज का नंबर आ रहा है. इस पर एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ दीपक महेश्वरी ने बताया कि हॉस्पिटल की व्यवस्थाओं की बात करें, तो उन्हें सुचारू रखने का प्रयास किया जा रहा है. जितने भी सीनियर फैकल्टी मेंबर्स हैं वो सभी काम पर लगे हुए हैं. किसी भी मरीज को कोई परेशानी ना आए, इसके लिए कटिबद्ध हैं. जहां तक रेजिडेंट डॉक्टर्स की मांगों का सवाल है, सरकार में मंत्री लेवल पर वार्ता हुई है. उन्हें आश्वस्त भी किया गया है कि सभी वाजिब मांगे मान ली जाएंगी. इसके बाद कुछ नहीं बचता. रेजिडेंट डॉक्टर्स से लिए जाने वाले शपथ पत्र का सवाल है तो उसके आधार पर कार्रवाई करने का फैसला सरकार पर है.
पढ़ें:कोलकाता रेप-मर्डर मामला : फिर डॉक्टरों ने शुरू की हड़ताल, सरकार पर लगाया ये आरोप
ये हैं प्रमुख मांगे:
- सभी मेडिकल कॉलेज में पुख्ता हो सुरक्षा व्यवस्था
- समय पर स्टायपेंड में वृद्धि और इंक्रीमेंट
- बॉन्ड पॉलिसी में हो बदलाव
- जो रेजिडेंट डॉक्टर्स हॉस्टल में नहीं मिलते, उन्हें मिले एचआरए
- विशेष मेडिकल ऑफिसर पदों की भर्ती निकाली जाए
- जिन डिपार्टमेंट में पीजी होती है, उन सभी डिपार्टमेंट में जेएस/एसएस पदों का हो सृजन
- एकेडमिक और नॉन एकेडमिक एसआर की सैलरी में दूर हो विसंगति
- राजस्थान सरकार के इन-सर्विस डॉक्टर्स के लिए सुपर-स्पेशलाइजेशन के बाद, उनकी वेतन वृद्धि और पदोन्नति उसी तरह से हो, जैसे पीजी पासआउट डॉक्टर्स की होती है
हालांकि स्वास्थ्य विभाग का तर्क है कि देश के 20 राज्यों से ज्यादा स्टाइपेंड राजस्थान में मिल रहा है. रेजिडेंट्स को मानदेय के रूप में 83 हजार से 94 हजार तक स्टाइपेंड मिलता है. इसके अलावा बिजली-पानी की सुविधा और अलग से एचआरए दिया जाता है. इन सभी सुविधाओं के बावजूद हड़ताल के फैसले से रेजिडेंट्स पर अब सवाल भी उठ रहे हैं.