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Research in Eye Treatment : टीबी मरीजों की नहीं जाएगी आंखों की रोशनी, यह दवा बनी संजीवनी

गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज (GSVM Medical College Kanpur) के नेत्र रोग विशेषज्ञों ने टीबी की दवाओं के साइड इफेक्ट से आंखों की रोशनी खोने वाले मरीजों के लिए

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 13, 2024, 11:34 AM IST

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर में नेत्र रोग पर शोध. देखें पूरी खबर

कानपुर : इन दिनों कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें टीबी (क्षयरोग) की दवा खाने से लोगों की आंखों की रोशनी धूमिल हो रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि टीबी के मरीजों को एक ऐसी दवा दी जा रही है. जिससे उनकी आंखों की रोशनी की प्रमुख नस सूखने लगती है. जिस वजह से मरीजों को परेशानी हो रही है. अभी तक ऐसे मरीजों की दोबारा से रोशनी वापस लाना असंभव था. विगत कई वर्षों से गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज (जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज) में इस पर शोध भी किया जा रहा था. कई वर्षों की कड़ी मेहनत और रिसर्च के बाद नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. परवेज खान ने इस समस्या का समाधान खोज लिया है.

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर में नेत्र रोग पर शोध.


ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. परवेज खान ने बताया कि टीबी की बीमारी में एथमब्युटोल सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली दवा है. इस दवा के ज्यादा समय तक उपयोग से आंखों की प्रमुख नस डैमेज होने लगती है. इससे लोगों की आंखों की रोशनी भी चली जाती है. इससे जुड़े रोजाना 1 से 2 मामले सामने आ रहे थे. ऐसे मरीज की रोशनी वापस लाने के लिए करीब सात साल से शोध किया जा रहा था. इसमें अब सफलता मिल गई है. डॉ. परवेज आलम के अनुसार बहुत ही पुरानी एक दवा थी जो बाजार से पूरी तरह से गायब हो गई थी. इसी दवा पर हम लोग शोध कर रहे थे. इस दवा के उपयोग से हम लोगों ने देखा कि जिन मरीजो की आंखों की रोशनी चली गई थी. वह धीरे-धीरे वापस आने लगी थी और करीब 80% से 90% मरीजों का विजन वापस लौट आया है.


पेंटॉक्सिफाइलाइन दवा बनी मरीजों के लिए संजीवनी : डॉ. परवेज आलम ने बताया कि उनके साथ इस शोध में डॉ. इंदु ने भी काफी अहम भूमिका निभाई है. डॉ. इंदु ने इस बीमारी से पीड़ित कई मरीजों पर अलग-अलग दवाओं का शोध किया, लेकिन पेंटॉक्सिफाइलाइन ने संजीवनी का काम किया. वह काफी सफल और बेहतर साबित हुआ. करीब 80 मरीजों में इस दवा के बाद सफल परिणाम देखने को मिले है और उनकी आंखों की रोशनी वापस आ गई है.


पहचानें इसके लक्षण और उपाय : डॉ. परवेज ने बताया कि इस बीमारी में कुछ प्रमुख लक्षण भी दिखाई देने लगते हैं. बीमारी के शुरुआती समय में मरीज को कलर की पहचान करने दिक्कत सबसे ज्यादा होती है. इसके बाद धीरे- धीरे उन्हें धुंधला दिखाई देने लगता है और आंखों की रोशनी कम हो जाती है. एक समय ऐसा आता है कि मरीज को बिल्कुल दिखाई देना बंद हो जाता है. ऐसे में इन मरीजों को जब टीबी की बीमारी में एथमब्युटोल दवा दी जाती है. तभी डॉक्टर को उन्हें बता देना चाहिए कि कभी भी अगर आपको आंख से संबंधित कोई भी दिक्कत महसूस हो तो उन्हें सबसे पहले किसी अच्छे नेत्र रोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए. क्योंकि अगर इस बीमारी का उपचार समय से हो जाता है तो रिकवरी जल्दी होती है. आमतौर पर इस बीमारी में करीब 6 महीने तक दवा चलती है. जिसके बाद रिकवर हो पाती है. बहरहाल पिछले सात साल में हम लोगों ने जो स्टडी की है, उसमें और भी बहुत सी छोटी-छोटी चीज मिली है. इस पर भी आगे काम किया जाएगा.

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