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बंद हो गया जिला विकलांग पुनर्वास केंद्र, नहीं मिल पा रहा है दिव्यांगों को प्रशिक्षण

हजारीबाग में दिव्यांग लोगों के लिए बना पुनर्वास केंद्र पूरी तरह से बंद हो चुका है. विभाग ने उसमें टीकाकरण केंद्र खोल दिया है.

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हजारीबाग का विकलांग पुनर्वास केंद्र (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 3, 2024, 7:56 PM IST

हजारीबाग: जिला ग्रामीण विकास अभिकरण हजारीबाग के द्वारा व सांसद विकास मद से निर्मित सदर अस्पताल परिसर में स्थित जिला विकलांग पुनर्वास केंद्र बदहाल स्थिति में है. भवन के जिस कमरे में विकलांग पुनर्वास केंद्र बनाया गया था, उस भवन पर हजारीबाग स्वास्थ्य विभाग ने टीकाकरण केंद्र बना दिया है. कहा जाए तो जिस उद्देश्य से विकलांग पुनर्वास केंद्र बनाया गया था, वह अस्तित्व से ही उठ चुका है. पूरे विश्व भर में विश्व विकलांग दिवस मनाया जा रहा है. दूसरी ओर हजारीबाग में जिस केंद्र को दिव्यांग जनों को मुख्य धारा में जोड़ने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए तैयार किया गया था, वह अब इतिहास के पन्नों में दफन हो चुका है.

देश के पूर्व वित्त एवं विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने 5 अप्रैल 2002 को विकलांग पुनर्वास केंद्र का उद्घाटन किया था. जिसका उद्देश्य दिव्यांगों के लिए आर्टिफिशियल हाथ पैर मुफ्त में हजारीबाग के सदर अस्पताल में ही उपलब्ध कराना था. पुनर्वास केंद्र के उद्घाटन के बाद दो-तीन वर्षों तक सब ठीक-ठाक रहा. इस विकलांग पुनर्वास केंद्र सह गोदाम का संचालन रेड क्रॉस सोसाइटी द्वारा किया जाता था. इसकी स्थापना केंद्र सरकार के द्वारा की गई थी. बाद में पुनर्वास केंद्र राज्य सरकार के जिम्मे में आ गया.

जानकारी देते हुए संवाददाता गौरव प्रकाश (ईटीवी भारत)

लगभग 17 से 18 वर्ष बीत जाने के बाद भी पुनर्वास केंद्र काम नहीं कर रहा है. आलम यह है कि पुनर्वास केंद्र में अब स्वास्थ्य विभाग ने टीकाकरण केंद्र खोल दिया है. इसे लेकर दिव्यांगों के लिए काम करने वाले समाजसेवी गणेश कुमार सिट्टू ने पत्राचार भी किया और ध्यान आकर्षित कराते हुए कहा कि जल्द से जल्द पुनर्वास केंद्र खोलने की मांग की. लेकिन जिला प्रशासन और सरकार की उदासीनता के कारण यह केंद्र अब तक नहीं खुला है.

गणेश कुमार सिट्टू का कहना है कि विश्व दिव्यांग दिवस मनाया जा रहा है. हजारीबाग में दिव्यांगों को उनका अधिकार से वंचित रखा जा रहा है. हजारीबाग जिले में लगभग 23997 चिन्हित दिव्यांग हैं. चतरा, कोडरमा और गिरिडीह के दिव्यांग को जोड़ दिया जाए तो 60000 से अधिक सर्वेक्षित दिव्यांग हैं, जो हजारीबाग जिला विकलांग पुनर्वास केंद्र पर आश्रित थे. केंद्र में कृत्रिम अंग बनाने की व्यवस्था थी. साथ ही दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बनाने का भी प्रशिक्षण दिया जाता था. लेकिन पुनर्वास केंद्र बंद हो जाने के कारण कई योजनाएं धरातल पर नहीं उतरी है.

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