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साल 2001 में बना संस्कृत शिक्षा बोर्ड, 24 साल बाद भी नहीं नियुक्त हो पाए नियमित कर्मचारी - Regular employees - REGULAR EMPLOYEES

बोर्ड के गठन के समय बोर्ड में सचिव के अलावा 23 और पदों का सृजन (Sanskrit Education Board) किया गया था, लेकिन आज तक यहां पर नियुक्तियां नहीं हो पाईं हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 27, 2024, 7:12 AM IST

लखनऊ :संस्कृत शिक्षा बोर्ड का गठन 2001 में हुआ था. करीब 24 साल बीत जाने के बाद भी आज तक इस बोर्ड में नियमित कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हो पाई है. बोर्ड के गठन के समय बोर्ड में सचिव के अलावा 23 और पदों का सृजन किया गया था, लेकिन आज तक यहां पर नियुक्तियां नहीं हो पाईं हैं. प्रतिनियुक्ति पर भेजे गए कर्मचारियों के सहारे ही यह विभाग चल रहा है. अब महज 7 कर्मचारियों के भरोसे ही पूरा बोर्ड काम कर रहा है. वेतन भत्ता मिलने में आने वाली दिक्कतों के कारण कर्मचारी यहां नहीं आना चाहते हैं. जो हैं वह काम के बोझ से काफी परेशान हैं.

कर्मचारियों को दी जा रही है तैनाती :संस्कृत बोर्ड का गठन साल 2001 में किया गया था. प्रदेश के इंटर लेवल तक के सभी संस्कृत विद्यालयों को इससे संबद्ध किया गया. बोर्ड के सचिव के अलावा यहां पर 23 पदों का सृजन किया गया. इसमें एक प्रशासनिक अधिकारी, 7 वरिष्ठ सहायक, चार कनिष्क सहायक, सात चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, एक स्टेनो और एक स्टोर कीपर का पद सृजित किया गया था.

अब नई नियुक्तियों के इंतजार में माध्यमिक शिक्षा विभाग से कर्मचारियों को यहां तैनाती दी जा रही है. वह भी काफी कम है, इनमें से दो प्रमोट होकर यहां से जा चुके हैं. इस समय 23 में से सिर्फ सात पदों पर एक कर्मचारी तैनात है और वह काम की अधिकता के बोझ से परेशान है.

दूसरा कोई भी कर्मचारी यहां नहीं आना चाहता है. प्रदेश में मौजूदा समय में संस्कृत शिक्षा बोर्ड से करीब ढाई सौ से अधिक विद्यालय पंजीकृत हैं. जहां पर करीब एक लाख विद्यार्थी इन विद्यालय में अध्यनरत हैं.

विभागों के लगाने पड़ रहे चक्कर :संस्कृत शिक्षा बोर्ड में कर्मचारियों की नियुक्ति न होने की समस्या तो है ही, उसमें बड़ी समस्या यह है कि जिनको प्रतिनियुक्ति पर यहां तैनात किया गया है. उनको अलग से प्रतिनिधि भत्ता, एक पदोन्नति जैसा लाभ नहीं दिया गया. अपनी पेंशन और भर्ती के लिए नियुक्त कर्मचारियों को विभागों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं.

जब वह चिकित्सा प्रतिपूर्ति पेंशन व उन बच्चों के लिए आवेदन करते हैं तो उनको एक महीना भटकना पड़ता है. माध्यमिक शिक्षा विभाग का कहना है कि पहले प्राथमिकता उनके अपने कर्मचारियों की है ऐसे में कोई कर्मचारी यहां पर काम नहीं करना चाहता है.

संस्कृत शिक्षा बोर्ड के सचिव शिवलाल का कहना है कि विभाग में खाली पदों की जानकारी शासन को भेज दी गई है. बोर्ड के सृजित पदों पर नियुक्ति के प्रयास किया जा रहे हैं. जल्द ही संस्कृत शिक्षा बोर्ड अपनी पूरी क्षमता से काम करेगा.

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