दिल्ली

delhi

ETV Bharat / state

यूपी के इस गांव में नहीं मनता दशहरा, ...ग्रामीण करते हैं लंकापति रावण की पूजा, जानें क्या है पूरा रहस्य

ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में स्थित बिसरख गांव रावण की जन्मस्थली है. यहां एक शिवलिंग स्थापित है. कहते हैं शिवलिंग की रावण पूजा करता था.

By ETV Bharat Delhi Team

Published : 5 hours ago

उत्तर प्रदेश के बिसरख गांव में नहीं मनता दशहरा
उत्तर प्रदेश के बिसरख गांव में नहीं मनता दशहरा (Etv Bharat)

नई दिल्ली/नोएडा:पूरे देश में हर तरफ नवरात्र और दशहरे की धूम मची है. वहीं, उत्तर प्रदेश के एक गांव में दशहरे को लेकर न तो कोई हर्ष है और न ही खुशी. वहां लोग आम दिनों की तरह अपनी दिनचर्या में लगे हैं. हम बात कर रहे हैं ग्रेटर नोएडा क्षेत्र स्थित बिसरख गांव की, जहां विश्रवा ऋषि के घर प्रकांड पंडित रावण ने जन्म लिया था.

बिसरख रावण की जन्मस्थली है. गांव में एक शिवलिंग स्थापित है. कहते हैं कि इसकी रावण पूजा करता था. उसके वध के कारण इस गांव में न तो कभी रामलीला हुई और न ही दशहरा पर कोई उत्सव. इस संबंध में शिव मंदिर के पुजारी महंत रामदास ने ETV Bharat से कहा कि 9 दिन के नवरात्र में लोग तमाम परंपराओं को भले ही करते हैं, पर रावण दहन नहीं किया जाता है. गांव के किसी भी व्यक्ति ने जब पुरानी परंपरा को तोड़कर रामलीला का आयोजन कराया या रावण दहन किया तो उसके साथ अशुभ हुआ.

राम के आदर्शों और रावण के चरित्र पर आधारित ग्रन्थ राम चरित मानस में राम को मर्यादा पुरुषोतम और रावण को राक्षस जाती का नायक बताया गया है. दशहरा के दिन राम-रावण युद्ध में रावण का बध और श्रीराम की विजय हुई थी. लेकिन ग्रेटर नोएडा स्थित बिसरख गांव में दशहरे के दिन मातम रहता है. क्योकिं रावण इसी मंदिर में तप जप कर उन तमाम विद्याओं और सिद्धियों को अर्जित कर चारों लोकों को बंधक बनाकर देवताओं पर राज करने लगा था. तभी से गांववासी राम के बजाय रावण को अपना आदर्श मानते हैं.

उत्तर प्रदेश के इस गांव में नहीं होता रावण दहन, ...ग्रामीण करते हैं पूजा (ETV BHARAT)

रावन के पिता के नाम पर गांव का नाम: बिसरख गांव वालों की मानें तो इस गांव का नाम बिसरख रावन के पिता विशेषर के नाम पर रखा गया है. रावण के पिता यही के रहने वाले थे और इसी गांव में पूजा करते थे. इस गांव के लोगों का कहना है कि यह गांव रावण का गांव है. इस गांव को रावण के पिता ने बसाया था. रावण का बचपन यही पर बीता था. रावण भगवान शंकर के इसी मंदिर में पूजा किया करता था. इस गांव में रावण को पूजा जाता है. बिसरख में रावण के पुतले का दहन भी नहीं किया जाता और ना ही इस गांव में रामलीला की जाती है.

नोएडा क्षेत्र स्थित बिसरख गांव की कहानी (ETV BHARAT)

रावण की पूजा का रहस्य: गांव वालों का कहना है कि अगर इस गांव में रामलीला या रावण को फुका जाता है तो कोई न कोई अनहोनी जरूर होती है. एक बार रावण दहन करने पर इस गांव में 6 लोगों की मौत हो चुकी है. सभी गांव वालों का कहना है कि यहां पर एक बहुत ही प्राचीन शिवलिंग है, जिस की पूजा रावन किया करता था. रावण के इस प्राचीन शिव मंदिर में रात दिन महिलाएं भजन कीर्तन करती है. उनकी मान्यता के मुताबिक, रावण जैसे बलवान बच्चे मां के गर्भ से जन्मे. जन्मे जवान बच्चे इसी कामना के लिए यहां नित्य पूजा करते रहते है. इस मंदिर की धार्मिक मान्यता है कि यहां जो भी पूजा करता है रावण जैसा दिव्यता प्राप्त करता है. इसी कारण यहां रावण की पूजा की जाती है और रावण की मृत्यु का शोक मनाया जाता है.

ग्रामवासी डर के कारण गांव में एक रावण का मंदिर भी बना रहे हैं, जहां पर सिर्फ रावण की मूर्ति को स्थापित किया जाएगा. इस गांव के प्राचीन शिव मंदिर में मौजूद शिवलिंग की खुदाई की गई, लेकिन उस मूर्ति का किसी को अंत नहीं मिला. कहा जाता है की खुदाई के दौरान एक गुफा भी मिली लेकिन अब वो सब नष्ट हो चुके हैं. अब इसे आस्था कहे या अंध विश्वास राम के देश में ही रावण के पुतले को जलाने पर लोगों को अनहोनी का सामना करना पड़ता है.

उत्तर प्रदेश के बिसरख गांव में नहीं मनता दशहरा (ETV BHARAT)

आज भी कायम है पुरानी परंपरा:मंदिर के महंत रामदास ने बताया कि समय जरूर बदला है और आज युवाओं के विचार भी बदले हैं, पर पुरानी परंपराओं और मान्यताओं के विरुद्ध अभी तक कोई भी परिवार या व्यक्ति सामने नहीं आया है, जिसके चलते ये आज भी कायम हैं. वहीं, रावण के मंदिर में पूजा अर्चना करने आए कुछ लोगों से भी ईटीवी भारत ने बात किया तो, उन्होंने बताया कि वो पहली बार यहां आए हैं. यहां की मान्यताओं और इतिहास के बारे में काफी सुने थे, जिसके बाद से यहां आने की एक लालसा थी, जो आज पूरी हुई है. दिल्ली से आई तूलिका ने बताया कि उनके ससुराल में रावण की पूजा की जाती है. इस जिज्ञासा से वह यहां आई थी कि आखिर रावण का गांव कहा है. जबकि विनोद नाम के एक शख्स ने बताया कि वह हर साल होने वाली गाजियाबाद की एक रामलीला में रावण का किरदार निभाते हैं. पर कभी रावण के गांव नहीं आए थे.

ये भी पढ़ें:

  1. दिल्ली में पटाखे बैन!, ऐलान के एक महीने बाद भी नोटिफिकेशन नहीं हुई जारी, बिगड़ेगी हवा
  2. दिल्ली में 'छोटा रावण' का बढ़ा क्रेज, जानिए- कैसे तैयार होता है?

ABOUT THE AUTHOR

...view details