रतलाम:बहुचर्चित व्यापम घोटाला मामले के व्हीसल ब्लोअर पारस सकलेचा की पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश शासन और सीबीआई को नोटिस जारी किया है. व्यापम मामला जुलाई 2009 में शासन के संज्ञान में आने तथा जांच कमेटी गठित करने के बाद भी 2010 से 2013 तक घोटाला होने पर कुछ बिंदुओं पर पूछताछ करने की पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने पिटीशन दायर की थी. जिस पर सुप्रीम कोर्ट में माननीय न्यायाधीश संजीव खन्ना तथा माननीय न्यायाधीश संजय कुमार ने शासन तथा सीबीआई को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है.
इंदौर हाईकोर्ट ने निरस्त कर दी थी याचिका
इससे पूर्व पारस सकलेचा ने माननीय उच्च न्यायालय इंदौर में भी पिटीशन दायर की थी. जिसे माननीय न्यायालय ने निरस्त कर दिया था. लेकिन बाद में पारस सकलेचा ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर की थी. जिसे माननीय न्यायालय ने ग्रहण करते हुए मध्य प्रदेश शासन और सीबीआई को नोटिस जारी किया है. पिटीशन कर्ता की तरफ से वरिष्ठ अभिभाषक विवेक तनखा एवं सर्वम ऋतम खरे ने सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की थी.
तत्कालीन मुख्यमंत्री सहित कई लोगों से पूछताछ की मांग
दरअसल, यह पिटीशन पूर्व विधायक पारस सकलेचा द्वारा मध्य प्रदेश में हुए बहुचर्चित व्यापम घोटाला मामले को लेकर लगाई गई थी. जिसमें 350 पेज के आवेदन के साथ पारस सकलेचा ने अपने आवेदन में व्यापम घोटाले में तत्कालीन मुख्यमंत्री, जिनके पास चिकित्सा शिक्षा विभाग भी था. मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, प्रमुख सचिव, सचिव चिकित्सा शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा संचालक, व्यापम के अध्यक्ष आदि से दस्तावेज पेश कर उनसे पूछताछ करने की मांग की थी.
एसटीएफ ने मांगा जांच के लिए आवेदन
व्हीसल ब्लोअर सकलेचा ने अपने आवेदन में कहा कि, 'एसटीएफ ने 27 नंबर 2014 को विज्ञप्ति क्रमांक 21503/14 जारी कर व्यापम की जांच में बिंदु शामिल करने के लिए आवेदन मांगा था. जिस पर उन्होंने 11 दिसंबर 2014 को दस्तावेज सहित 350 पेज का आवेदन दिया था. एसटीएफ को 12 जून 2015 को मौखिक साक्ष्य के अतिरिक्त 71 पेज का लिखित बयान तथा 240 पेज के दस्तावेज दिये. 11 से 13 सितंबर 2019 को एसटीएफ में पुनः 13 घंटे तक बयान देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की. वहीं, सीबीआई में अक्टूबर 2016 में बयान देने के बाद आवेदन को मुख्य सचिव मध्य प्रदेश शासन को कार्यवाही करने हेतु भेजा. जिस पर भी आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई.''