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खाद न मिले तो मत हों परेशान, कम खर्च में नैनो यूरिया और नैनो डीएपी से होगी बंपर पैदावार - RATLAM NANO UREA FERTILIZER

नैनो यूरिया और नैनो डीएपी खाद पारंपरिक खाद से ज्यादा फायदेमंद हैं. कृषि विभाग सहित कई कंपनियां इसे प्रमोट कर रही हैं.

RATLAM NANO UREA FERTILIZER
नैनो यूरिया और नैनो डीएपी से होगी बंपर पैदावार (IFFCO)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 7, 2024, 10:45 PM IST

Updated : Nov 7, 2024, 10:53 PM IST

रतलाम:कृषि में रबी का सीजन शुरू होते ही किसानों को एक बार फिर खाद की कमी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. खासकर यूरिया और डीएपी जैसी खाद के लिए किसानों को खाद वितरण केंद्र के बाहर लंबी लाइन में लगना पड़ रहा है. लेकिन किसानों को अब इसके लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है. किसान लिक्विड रूप में मौजूद नैनो यूरिया और नैनो डीएपी का इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे कम खर्च में फसल का अच्छा उत्पादन कर सकते हैं.

फसल की पत्तियों पर डायरेक्ट स्प्रे करें

जिस तरह खाद को सिंचाई के दौरान खेत के मिट्टी में डाला जाता है. उससे अलग लिक्विड नैनो यूरिया और डीएपी को डायरेक्ट पत्तियों पर स्प्रे के माध्यम से फसल में दिया जाता है. यह खाद पारंपरिक खाद से ज्यादा फायदेमंद और सस्ती भी पड़ती है. कृषि विभाग और इफको जैसी कंपनियां प्रचार प्रसार के माध्यम से किसानों को इसके बारे जागरूक कर रही हैं.

नैनो यूरिया और नैनो डीएपी फसलों के लिए है फायदेमंद (ETV Bharat)

क्या होता है नैनो यूरिया और नैनो डीएपी

नैनो लिक्विड यूरिया की एक बोतल में 40 हजार पीपीएम नाइट्रोजन होता है, जो सामान्य यूरिया के एक बैग के बराबर नाइट्रोजन तत्व देता है. यह फसल में पत्तियों और स्टोमेटा के बारीक छिद्र के माध्यम से फसल में स्प्रे कर दिया जाता है. इसके कण का आकार 100 नैनोमीटर से कम होता है. जिसकी वजह से इन्हें नैनो यूरिया और नैनो डीएपी कहा जाता है. यूरिया की तरह ही नैनो डीएपी में भी नाइट्रोजन और फास्फोरस का कॉम्बिनेशन होता है. यह आने वाले समय में फसलों को दिए जाने वाले सामान्य खाद की बोरियों के विकल्प बनने वाले हैं.

नैनो यूरिया और डीएपी के फायदे

कृषि विभाग के उप संचालक नीलम सिंह ने बताया कि "इसके बहुत सारे फायदे हैं. इन दोनों ही तरल उर्वरकों के 1 लीटर की बोतल में एक-एक खाद के बैग के बराबर मात्रा में उर्वरक होता है. इनकी कीमत भी खाद के बैग से कम होती है. किसानों को ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट भी नहीं लगती है. स्प्रे के माध्यम से नैनो लिक्विड खाद को दिया जाता है, जो पत्तियों और पौधे पर सीधे लगता है. जिससे खाद वेस्ट नहीं होती है और तत्काल रिजल्ट भी देखने को मिलता है. वहीं, अत्यधिक मात्रा में खाद के उपयोग की वजह से मिट्टी को होने वाले नुकसान से भी बचा जा सकता है. इसके साथ ही किसानों को खाद लगाने के मजदूर भी कम लगते हैं."

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कृषि विभाग भी कर रहा है प्रमोट

कृषि विशेषज्ञों की मानें तो किसानों को केवल खाद देने की पारंपरिक तकनीक को बदलना है. लिक्विड नैनो यूरिया और डीएपी खाद अच्छे विकल्प के तौर सामने आए हैं. जिसके रिजल्ट सामान्य खाद की जगह अधिक बेहतर हैं. वहीं, कृषि विभाग के साथ इफको और कृभको जैसी कंपनियां भी नैनो यूरिया और डीएपी को प्रमोट करने में जुटी हुई हैं.

Last Updated : Nov 7, 2024, 10:53 PM IST

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