नई दिल्ली:दिल्ली उच्च न्यायालय ने दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित रोगियों की ओर से दायर 100 से अधिक याचिकाओं का निपटारा करते हुए कहा कि स्वास्थ्य का अधिकार जीवन के अधिकार का एक अभिन्न अंग है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार को राष्ट्रीय दुर्लभ रोग कोष (एनआरडीएफ) NATIONAL RARE DISEASE FUND स्थापित करने का निर्देश दिया, जिसके लिए रु 974 करोड़ रुपये आवंटित किये जायेंगे. पीठ ने कहा कि इस फंड का इस्तेमाल दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों के इलाज के लिए किया जाना चाहिए.
अदालत ने ये निर्देश भी दिया कि इस धनराशि के वितरण की निगरानी हर महीने की जाए और अगर कोई देरी हो तो उसकी पहचान की जाएगी. पहली बैठक 30 दिनों के अंदर तय की जानी चाहिए. उच्च न्यायालय ने इससे संबंधित कई निर्देश पारित किए हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट का ये है आदेश
उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि 25 मई, 2023 को गठित राष्ट्रीय दुर्लभ रोग समिति अगले पांच वर्षों तक काम करती रहेगी. हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अपने आदेश में कहा, "केंद्र सरकार दुर्लभ बीमारियों के लिए एक राष्ट्रीय कोष बनाएगी और एनआरडीसी की सिफारिश के अनुसार, 974 करोड़ रुपए का एक फंड बनाएगी और स्वास्थ्य मंत्रालय की लंबित मंजूरी को वर्ष 2024-25 और 2025-26 के लिए आवंटित किया जाएगा."
100 से ज्यादा याचिकाओं पर सुनवाई
105 याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित सभी मरीजों को इलाज और दवा मुहैया कराई जाए. उपयोग न होने के पर ये फंड लैप्स या वापस वापस नहीं की जाएगी. उच्च न्यायालय दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित मरीजों के मुफ्त इलाज की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था.
पीठ ने भरोसा जताया कि एक बार फंड बन जाने के बाद, अगले कुछ वर्षों में दवाओं की कीमतें कम करने और उन्हें अधिक सुलभ बनाने के प्रयास किए जाएंगे. कोर्ट ने डचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी और हंटर सिंड्रोम जैसी दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित बच्चों के इलाज से संबंधित 105 याचिकाओं का निपटारा करते हुए यह आदेश पारित किया है. याचिकाओं में मरीजों के लिए मुफ्त इलाज की मांग की गई, जो अन्यथा बहुत महंगा है. न्यायालय 2020 से समय-समय पर याचिकाओं पर विभिन्न आदेश पारित करता रहा है.
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