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आजादी की लड़ाई में रामगढ़ जिले की भी है अहम भूमिका, यहां से बुलंद हुआ था अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा

Ramgarh in freedom struggle. रामगढ़ जिले का आजादी की लड़ाई में अहम स्थान है. यहीं से अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा बुलंद हुआ था. रामगढ़ की धरती से भारत छोड़ो आंदोलन की रूपरेखा तय हुई थी.

Ramgarh district has important place in the freedom struggle
Ramgarh district has important place in the freedom struggle

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 26, 2024, 10:58 AM IST

Updated : Jan 26, 2024, 12:04 PM IST

आजादी की लड़ाई में रामगढ़ का इतिहास

रामगढ़ः आजादी की लड़ाई में रामगढ़ जिले का भी नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज है. रामगढ़ की धरती पर ही गरम दल और नरम दल की स्थापना हुई थी. आजादी से पहले यहां पर 1940 में कांग्रेस का 53 वां अधिवेशन हुआ था और यहीं पर अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा बुलंद हुआ था. रामगढ़ जिले का इतिहास काफी पुराना है. दक्षिणी छोटानागपुर का यह जिला पूर्व काल से भी ऐतिहासिक है. द्वितीय विश्व युद्ध से लेकर चीन के युद्ध तक का प्रमाण यहां देखने को मिलता है. आजादी से पहले रामगढ़ में कांग्रेस का 53 वां अधिवेशन तीन दिनों तक चला. जिसमें महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, डॉ. श्रीकृष्ण सिंह, डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे तमाम नेताओं की भागीदारी हुई थी.

रामगढ़ में भारत की दो सबसे पुरानी पैदल सेना रेजिमेंट पंजाब रेजिमेंट के रेजिमेंटल केंद्र हैं. कई लड़ाइयों में अपनी वीरता का इन्होंने प्रदर्शन किया है. भारत की आजादी का संबंध रामगढ़ जिले से भी है. वर्ष 1940 में 18 से 20 मार्च तक कांग्रेस का 53 वें अधिवेशन के लिए हरहरी नदी के किनारे हुआ था. अधिवेशन के दौरान नेताओं के ठहरने के लिए तंबू आदि लगाए गए थे. मौलाना अबुल कलाम आजाद की अध्यक्षता में आयोजित रामगढ़ अधिवेशन में महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल समेत कई दिग्गज नेताओं ने हिस्सा लिया था.

बताया जाता है कि अधिवेशन के दौरान गांधी जी ने आजादी के लिए जैसे ही सभी लोगों से आह्वान किया, पूरा समारोह स्थल आजादी के नारों से गूंज उठा था. अधिवेशन के दिन भारी बारिश के बीच अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की रूपरेखा तय की गई थी. महात्मा गांधी ने उक्त अधिवेशन में स्थल पर लगाई गई प्रदर्शनी का उद्घाटन किया था. बापू ने उपस्थित महिलाओं से पर्दा प्रथा, छूआछूत, अशिक्षा, अंधविश्वास जैसी कुरीतियों से जिहाद करने की अपील की थी. इसी दौरान नरम दल और गरम दल की स्थापना हुई थी. नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भी कांग्रेस की नीतियों के खिलाफ रामगढ़ में समानांतर अधिवेश किया था. पूरे नगर में एक विशाल शोभा यात्रा निकली थी. इसमें महंथ धनराज पुरी, कैप्टन शाहनवाज खां, कैप्टन लक्ष्मी बाई सहगल, शीलभद्र जैसे दिग्गज लोग शामिल हुए थे. सुभाष चंद्र बोस रांची से टिफिन गाड़ी में सवार होकर रामगढ़ आए थे. नेताजी के साथ उनके निकट सलाहकार डॉ. यदु मुा मुखर्जी व कई अन्य नेता भी थे.

आजादी की लड़ाई में रामगढ़ का इतिहासः

  • रामगढ़ में आयोजित अधिवेशन में ही अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की नींव रखी गई थी
  • अधिवेशन के 6 साल बाद देश को आजादी मिली थी
  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का महत्वपूर्ण अधिवेशन 18 मार्च से 20 मार्च 1940 में रामगढ़ में हुआ था जिसमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी शामिल हुए थे.
  • अधिवेशन स्थल पर लगाई गई प्रदर्शनी का उद्घाटन भी गांधीजी ने किया था
  • जिस स्थल पर अधिवेशन का आयोजन किया गया था वहां पर अभी अशोक का स्तंभ बना हुआ है
  • अशोक स्तंभ वाला स्थान सिख रेजिमेंट सेंटर के अंदर चला गया है
  • राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मौत 30 जनवरी 1948 में हुई थी उसके बाद उनका आस्थि कलश रामगढ़ लाया गया था
  • दामोदर नदी घाट के किनारे गांधी जी की समाधि का निर्माण किया गया था जो आज गांधी घाट के नाम से जाना जाता है
  • राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती और पुण्यतिथि पर गांधी घाट पर उन्हें याद करते हुए कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं
Last Updated : Jan 26, 2024, 12:04 PM IST

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