उदयपुर :शिल्पग्राम महोत्सव में इस बार संगम हॉल में लगी बदनौर आर्ट प्रदर्शनी मेले में आने वाले लोगों को रिझा रही है. इसमें बदनौर का सात मंजिला महल और उदयपुर का सज्जनगढ़ पैलेस बरबस ही सबका ध्यान खींच रहा है. इस प्रदर्शनी में करीब डेढ़ दर्जन थ्री डी मॉडल्स रखे गए हैं.
ब्यावर जिले के बदनौर कस्बे के आर्टिस्ट अमजद खान बताते हैं कि उन्होंने जब बदनौर किले का सात मंजिला मॉडल बनाया तो उन्हें असीम सुकून मिला. इस मॉडल में महल की हर बारीकी को उकेरा गया है. इसके साथ ही उदयपुर में पहाड़ी पर बने सज्जनगढ़ पैलेस का मॉडल भी रखा है. यह महल करीब 200 साल पूर्व बना था. अमजद ने चित्तौड़गढ़ किले में स्थित महारानी पद्मिनी महल और विजय स्तम्भ के खूबसूरत मॉडल भी बनाए हैं, जो इस प्रदर्शनी में अपना खास आकर्षण रखते हैं. इस एग्जीबिशन में महाराणा प्रताप और चेतक के समाधि स्थलों के साथ ही जैसलमेर के गडिसर तालाब पर स्थित छतरी, कुंभलगढ़ फोर्ट, जोधपुर का घंटाघर के मॉडल्स भी हर दर्शक को रिझा रहे हैं.
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अयोध्या के राम मंदिर का हू-ब-हू मॉडल :एग्जीबिशन में अयोध्या के राम मंदिर का मॉडल भी दर्शकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. अमजद कहते हैं कि यह संयोग ही है कि जिस दिन अयोध्या में राम मंदिर की प्रतिष्ठा की गई, उसी दिन यह मॉडल बनकर तैयार हुआ. इसमें मंदिर की तमाम बारीकियों को उकेरने का प्रयास किया है. ऐसा नहीं कि धार्मिक स्थलों में सिर्फ राम मंदिर का ही मॉडल ही है. इस एग्जीबिशन में सम्मेद शिखर जैन तीर्थ (झारखंड), खाटूश्याम मंदिर का तोरण द्वार, सवाई भोज मंदिर (आसींद), ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह (अजमेर) और चीनी धर्म स्थल के प्रतिरूप भी इतने सुंदर बने हैं कि हर दर्शक को ठहर कर गौर से देखने को मजबूर कर देते हैं. आर्टिस्ट अमजद बताते हैं कि इस प्रदर्शनी में रखे तमाम मॉडल्स वेस्ट मटैरियल से बनाए गए हैं. वैसे, इनके बनाने में वेस्ट मटेरियल के साथ ही कागज, गत्ते, लकड़ी, प्लाइवुड, सनबोर्ड, मिट्टी, फेविकोल आदि का उपयोग भी होता है.
गर्म कपड़ों का बाजार (ETV Bharat udaipur) सर्दी बढ़ने के साथ ही बढ़ने लगी ऊनी वस्त्रों की सेल :हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा से आए हथकरघा कारीगर बिट्टूराम हिमाचल की प्रतीक बन चुकी टोपी से लेकर जैकेट तक इतने जतन और कौशल से बनाते हैं कि देखते ही नजर ठहर जाए. बिट्टूराम बताते हैं कि उनके पास खुद की भेड़ें हैं, जिनकी ऊन वे समय-समय पर उतार कर ऊनी टोपी, वस्त्र आदि बनाते हैं. ऊन लेकर उसको साफ कर घर पर ही हथकरघे पर उसका ऊनी आइटम बनाते हैं. उत्पाद चाहे बड़ा हो या छोटा सारा मटेरियल हाथ से तैयार किया जाता है. स्टिचिंग के लिए 10 कारीगर काम पर लगाए जाते हैं.
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ऊन सफेद, भूरे और काले रंग की :बिट्टूराम बताते हैं कि भेड़ों से उतरने वाली ऊन का ऑरिजनल कलर सफेद, भूरा और काला होता है. अन्य रंग देने के लिए इसे डाइ किया जाता है. डाइ भी घर पर ही कलर को पानी में उबाल कर तैयार की जाती है. इसके बाद डिजाइनिंग और स्टिचिंग का काम होता है. इसमें मार्केट की डिमांड का ख्याल रखा जाता है. कांगड़ा में भी उनकी दुकान है, लेकिन वहां कॉम्पटिशन बहुत रहता है. शिल्पग्राम में उनके उत्पादों की अच्छी डिमांड है और लोग इसकी खूब खरीदारी कर रहे हैं.
गोहाना का जलेबा (ETV Bharat udaipur) गोहाना का जलेबा आकार और स्वाद दोनों में अव्वल :हरियाणा के गोहाना में बरसों पहले नाथूराम, इंदर, प्यारेलाल और ओमप्रकाश हलवाई ने सोचा कि ऐसा कुछ बनाया जाए जो लोकल ही नहीं, देश में भी अपनी पहचान बनाए. इस तरह ईजाद हो गया, गोहानी जलेबा का. इसकी खासियत यह है कि यह एक जलेबा एक पाव यानी 250 ग्राम का बनता है. इसे जिसने चख लिया वो इसका पक्का फैन बन जाता है.
शिल्पग्राम महोत्सव में भीड़ (ETV Bharat udaipur) कुरकुरा और देसी घी के कारण कमाल का स्वाद :यह जलेबा बनाने वाले नरेश कुमार बताते हैं कि हमारा एक ही सिद्धांत है, वह यह कि क्वालिटी से कोई समझौता नहीं करेंगे. वे सही भी कहते हैं. इसका गवाह खुद जलेबा है,जो देशी घी और कुरुकुरापने के कारण कमाल का स्वादिष्ट होता है. नरेश कुमार बताते हैं कि वे अब तक गोवा, चंडीगढ़, नोएडा, गोरखपुर, लखनऊ, आगरा, कुरुक्षेत्र आदि देशभर में होने वाले फेस्टिवल में शामिल हो चुके हैं. हर जगह इस जलेबा के ऐसे फैन बन गए हैं, जिनमें से कई तो मेले का टिकट खरीदकर सिर्फ जलेबा खाने आते हैं. नरेश ने बताया कि शिल्पग्राम महोत्सव में मिल रहे शानदार रेस्पॉन्स से काफी उत्साहित हैं.