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जवानों की कलाई पर सजेगी जयपुर के स्कूलों में बनी राखियां, 30 बेटियां चीन बॉर्डर के लिए रवाना - Raksha Bandhan 2024

Raksha Bandhan Yatra 2024, सरहद पर तैनात सैनिक छुट्टी नहीं मिलने पर अपने घर नहीं आ सकते. उनकी कलाई पर भी राखी सजे, इसलिए जयपुर से 30 बेटियों का एक दल चीन सीमा के लिए रवाना हुआ है. यह दल करीब 80 हजार राखियां जवानों के हाथ बांधेगा, जिन्हें जयपुर की अलग-अलग स्कूलों में बेटियों ने अपने हाथों से तैयार की है. पढ़िए यह खास रिपोर्ट...

RAKSHA BANDHAN YATRA
सजेगी सैनिकों की कलाई (ETV Bharat GFX)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 13, 2024, 6:42 PM IST

राष्ट्रीय रक्षाबंधन यात्रा-2024, सुनिए किसने क्या कहा... (ETV Bharat jaipur)

जयपुर : सरहद की सुरक्षा में तैनात जवान छुट्टी नहीं मिलने के कारण रक्षाबंधन पर अपने घर नहीं जा सकते हैं. अपनी सुनी कलाई देखकर मन में जो पीड़ा होती होगी. उसे समझते हुए जयपुर से शुरू हुई एक मुहिम एक जन आंदोलन बन गया है. इसके तहत बेटियां सरहद पर जाकर देश की सेवा के लिए तैनात जवानों की कलाई पर राखी सजाती हैं.

जयपुर के अमर जवान ज्योति पर शहीदों के परिजनों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर इस साल 12वीं राष्ट्रीय रक्षाबंधन यात्रा मंगलवार को शुरू हुई. राजस्थान के उप मुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा और भाजपा विधायक बालमुकुंदाचार्य भी इस मौके पर पहुंचे. बेटियों ने उन्हें भी रक्षासूत्र बांधा. उप मुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने कहा कि श्री शक्ति पीठ के तत्वावधान में हमारी बेटियां बॉर्डर पर जाएंगी और देश की सरहद की रक्षा करने वाले वीर जवानों की कलाई पर राखी बांधेंगी. यह समाज के लिए प्रेरणादायक मुहिम है. इसके लिए श्री शक्ति पीठ को शुभकामनाएं.

इस साल 30 बच्चियां शामिल हैं यात्रा में : श्रीशक्ति पीठ की संस्थापक अध्यक्ष साध्वी समदर्शी ने बताया कि राष्ट्रीय रक्षाबंधन यात्रा-2024 आज जयपुर से रवाना हुई है. यह यात्रा लगातार 12 साल से चल रही है. इस बार इस यात्रा में करीब 30 बच्चियां शामिल हैं. यह यात्रा दिल्ली होते हुए उत्तराखंड जाएगी, जहां से आगे जाकर चीन सीमा पर पहरेदारी कर रहे जवानों को रक्षासूत्र बांधे जाएंगे.

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हर साल मिलती हैं 80 हजार राखियां : उन्होंने बताया कि जयपुर के विभिन्न स्कूलों से उन्हें 75 हजार राखियां मिली हैं. जब उन्होंने यह मुहिम शुरू की तो उनके पास एक भी राखी नहीं थी, लेकिन अब हर साल 75 हजार से 80 हजार तक राखियां मिल जाती हैं. इस दल का उद्देश्य सेना और जनता के बीच तारतम्य स्थापित करना है. साल 2013 में उन्होंने यह मुहिम शुरू की और सबसे पहले जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान की सीमा पर तैनात सैनिकों को रक्षासूत्र बांधे थे, तब से यह कारवां चल रहा है. अब तक उनकी इस मुहिम से देशभर के 700 परिवारों की बेटियां जुड़ी हैं. जयपुर से शुरू हुई यह यात्रा राष्ट्रीय स्तर की यात्रा बन गई है. उन्होंने बताया कि यात्रा में शामिल बेटियों ने जयपुर में शहीद जवानों के परिजनों को भी रक्षासूत्र बांधे हैं.

जवानों की कलाई पर सजेगी जयपुर के स्कूलों में बनी राखियां (ETV Bharat GFX)

जब गोलाबारी के बीच जाकर बांधी थी राखियां : उन्होंने बताया कि 2015 में जिस दिन रक्षाबंधन था. उससे एक रात पहले जम्मू-कश्मीर में सीमा पर पाकिस्तान की ओर से गोलाबारी हुई थी. इसे देखते हुए सेना के अधिकारियों ने लौटने का आग्रह किया था, लेकिन हमारे दल में शामिल 60 बेटियों ने बहादुरी दिखाते हुए कहा कि हम आए हैं तो राखियां बांधकर ही जाएंगे. जब दल पहुंचा तो आधा घंटा पहले ही गोलाबारी बंद हुई थी. उस स्थिति में भी हमारी बेटियों ने सैनिकों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधे हैं.

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सूनी कलाई पर राखी बांधने से मिलती हैं खुशी : श्री शक्ति पीठ की राष्ट्रीय रक्षाबंधन यात्रा से लगातार 12 साल से जुड़ी वरुणा ने बताया कि वह शुरुआत से ही इस मुहिम से जुड़ी है. सबसे पहले शहीदों के परिजनों को रक्षा सूत्र बांधते हैं. इसके बाद बॉर्डर पर जाकर सैनिकों को रक्षा सूत्र बांधते हैं. सरहद की सुरक्षा में तैनात जवान रक्षाबंधन पर घर नहीं आ पाते तो उनकी कलाइयां सूनी रह जाती है. ऐसे जवानों की कलाई पर जब राखी बांधने पहुंचती है तो खुशी होती है.

खुशी से छलक जाती हैं आंखें : निवेदिता शर्मा इस मुहिम से आठ साल से जुड़ी हैं. वह लगातार इस यात्रा में शामिल होकर सीमा पर तैनात सैनिकों को राखी बांध रही हैं. उन्होंने कहा कि सरहद पर जाकर सैनिक भाइयों को राखी बांधते हैं तो कई सैनिक भावुक हो जाते हैं. कई सैनिक तो यहां तक कहते हैं कि वो सात-आठ साल बाद रक्षाबंधन पर राखी बंधवा पा रहे हैं. जब सीमा पर तैनात सैनिकों की कलाई पर राखी बांधती है तो खुशी से आंखें छलक जाती हैं.

स्कूलों में राखी प्रतियोगिता में बनती हैं राखियां : श्री शक्तिपीठ की सचिव प्रियंका परमानंद का कहना है कि आज से 12 साल पहले जब उन्होंने यह मुहिम शुरू की थी तो किसी ने रक्षासूत्र नहीं दिए थे, लेकिन बाद में जयपुर के कई बड़े विद्यालय इस मुहिम से जुड़े. पहले स्कूलों में राखी प्रतियोगिता में बनी राखियां काम नहीं आती थी. अब बेटियां स्कूलों में जो राखियां बनाती हैं, वो सीमा पर तैनात जवानों की कलाई पर सज रही हैं. अब हर साल करीब 80 हजार राखियां उनके पास आ रही हैं, जो सीमा पर तैनात सिपाहियों की कलाई पर बांधी जा रही हैं.

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