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लावारिसों की राजकुमारी हैं बोकारो की ये किन्नर, आठ बच्चों की संवार चुकी हैं जिंदगी - Princess Of Bokaro

Rajkumari inspiration for society. कहते हैं कि किन्नरों की दुआएं जल्दी लगती हैं, लेकिन बोकारो में एक ऐसी किन्नर हैं जो सिर्फ न दुआएं देतीं हैं, बल्कि कई बेसहारों का सहारा बनी हुईं हैं. इनकी पहचान लावारिसों की राजकुमारी के रूप में है.

Rajkumari Inspiration For Society
Princess Of Bokaro

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Apr 12, 2024, 7:55 PM IST

Updated : Apr 13, 2024, 8:50 AM IST

समाजसेवी राजकुमारी किन्नर से ईटीवी भारत की खास बातचीत

बोकारोःजिले के रितुडीह निवासी राजकुमारी किन्नर लावारिसों की राजकुमारी हैं. भले हैं इनके पास बड़ा महल नहीं है, लेकिन दिल बहुत बड़ा है. राजकुमारी किन्नर अनाथों का नाथ बन कर मिसाल बनी हुई हैं. राजकुमारी किन्नर ने पांच लड़कियों और तीन लड़कों का लालन-पालन कर उनकी शादी भी करा चुकी हैं. वर्तमान में राजकुमारी एक बच्चे का लालन-पालन कर रही हैं. इतना ही नहीं राजकुमारी आस-पड़ोस की जरूरतमंद महिलाओं को भी त्योहार के समय या जरूरत पड़ने पर मदद करती हैं. लोगों की माने तो वह अपनी कमाई का 80 प्रतिशत हिस्सा जरूरतमंदों की भलाई में खर्च करती हैं.

आधा दर्जन से अधिक बच्चों का जीवन संवार चुकी हैं राजकुमारी

बोकारो-रामगढ़ एनएच के किनारे रितुडीह में बस्ती में राजकुमारी किन्नर का घर एक तरह से अनाथ आश्रम ही है. आधा दर्जन से अधिक अनाथ बच्चे इनके आशियाने में पल-बढ़ और पढ़कर अपनी जिंदगी जी रहे हैं. करीब दो-ढाई दशक से राजकुमारी यह नेक काम कर रही हैं. राजकुमारी ने कई बच्चियों को पाल-पोस कर बड़ा किया और फिर उनका अच्छे घरों में विवाह भी कराया है. हालांकि महंगाई के इस दौर में सभी का खर्च उठाने में कई बार काफी मुसीबत भी उठानी पड़ती है, लेकिन फिर भी राजकुमारी के कदम इस नेक कार्य से कभी पीछे नहीं हटे. वह गरीब की बेटी के शादी में जो बन पड़ता है सहयोग करती हैं.

पहले की तरह नहीं मिलती है बधाईः राजकुमारी

इस संबंध में राजकुमारी किन्नर कहती हैं कि अब पहले जैसी बधाई भी नहीं मिलती. बधाई के पैसों से तो खुद का पेट भरना ही मुश्किल हो गया है. बच्चों को पालने के लिए जहां-तहां हाथ पसारना पड़ता है. हाट-बाजार से सब्जी मांग कर लाती हूं. उन्होंने बताया कि बच्चों के लिए काॅपी, किताब ट्यूशन समेत अन्य तरह के खर्च उठाने पड़ते हैं.


अनाथों की तरह पली, इसलिए दर्द समझती हूं

अनाथों को पालने का ख्याल क्यों और कैसे आया इस सवाल पर राजकुमारी भावुक हो जाती हैं.कुछ देर खामोश रहने के बाद बताती हैं कि वह मूलतः बिहार के गोपालगंज जिले के बरौली की रहने वाली हैं. पैदा होते ही मां मर गई. पिता डीवीसी चंद्रपुरा में कार्यरत थे. उन्होंने कहा कि उसके जन्म से उनके इज्जत पर बट्टा लग रहा है. लगभग 9 साल की उम्र में उन्हें घर से निकाल दिया गया. उसके बाद वह पहले बेरमो फिर बोकारो आकर रहने लगीं.

राजकुमारी ने बताया कि वे अनाथों की तरह पली-बढ़ी हैं, इसलिए अनाथों का हाल और उसका दर्द समझती हैं. उन्होंने बताया कि कई लावारिस बच्चों को उन्होंने उठाकर घर लाया और उनका लालन-पालन किया है. उन्होंने बताया कि इन कार्यों में इन्हें आज तक कोई सरकारी मदद नहीं मिली है. सब कुछ अपने दम पर करती हैं. 54 वर्ष की आयु को पार कर चुकी राजकुमारी का शरीर भी उम्र के साथ थक गया है. सरकार और प्रशासन के रवैये से निराश जरूर है, पर हौसला नहीं हारी हैं. तमाम विकट परिस्थितियों के बावजूद एक किन्नर का हौसला देखने लायक हैं.


तीन लड़कियों का किया कन्यादान

राजकुमारी अब तक तीन लड़कियों का कन्यादान कर चुकी हैं. उन्होंने बताया कि तीनों बच्चियों को पाल-पोस कर बड़ा किया और फिर बड़ी होने पर उनका विधिवत विवाह अच्छा परिवार देखकर करा दिया. शादी के समय दहेज के अलावा जेवर, कपड़े, बर्तन समेत वह सब कुछ दिया जो बेटी के विवाह में दिए जाते हैं. उन्होंने बताा कि बड़ी लड़की कौशल्या की शादी नवादा में, मंझली बेटी रिंकु की शाीद समस्तीपुर में और छोटी बेटी सरस्वती की शादी सिवान में करायी है. तीनों अपने पति और बच्चों के साथ खुशहाली से रह रही हैं. राजकुमारी ने बताया कि तीनों लड़कियों की शादी में करीब 15 लाख खर्च हुए थे. महाजनों से ब्याज पर पैसा लेना पड़ा था.


महिला समिति भी चलाती हैं राजकुमारी

राजकुमारी किन्नर महिला समिति भी चलाती हैं. आये दिन महिलाएं अपनी समस्याएं लेकर इनके पास पहुंचती हैं. जिसका समाधान राजकुमारी करती हैं. समस्याओं के समाधान के लिए कभी थाना, कभी ब्लाॅक तो कभी नेताओं के पास जाती हैं. राजकुमारी ने बताया कि अभी तक संस्था को कोई सरकारी मदद नहीं मिली है. वह संस्था का रजिस्ट्रेशन करा चुकी हैं. उनका इरादा महिलाओं को प्रशिक्षण और स्वरोजगार से जोड़ना है.

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Last Updated : Apr 13, 2024, 8:50 AM IST

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