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मेजर जनरल आलोक राज बोले- बोर्ड 3000 से अधिक लिटिगेशन से जूझ रहा, छोटी से छोटी परीक्षा के लिए भी लंबी प्रक्रिया - RSSB

RSSB Struggling With Litigations, राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष मेजर जनरल आलोक राज ने बोर्ड की ओर से छोटी भर्ती परीक्षाएं आयोजित कराने से इनकार करने का खंडन किया है. उन्होंने राज्य सरकार की ओर से मिले दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए इसका एक्स पर जवाब दिया. साथ ही बताया कि बोर्ड फिलहाल तीन हजार अधिक लिटिगेशन से जूझ रहा है.

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 30, 2024, 5:41 PM IST

RSSB Struggling With Litigations
बोर्ड 3000 से अधिक लिटिगेशन से जूझ रहा (ETV BHARAT JAIPUR)

जयपुर :राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष मेजर जनरल आलोक राज ने बोर्ड की ओर से छोटी भर्ती परीक्षाएं आयोजित कराने से इनकार करने का खंडन किया है. उन्होंने राज्य सरकार की ओर से मिले दिशा-निर्देशों का हवाला देकर सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर जवाब दिया है. इसमें संसाधनों की कमी से लेकर एक भर्ती परीक्षा की लंबी प्रक्रिया और हर भर्ती परीक्षा में लिटिगेशन का हवाला दिया. साथ ही बताया कि बोर्ड फिलहाल छोटी-बड़ी हर भर्ती परीक्षा से जुड़े करीब तीन हजार लिटिगेशन से जूझ रहा है.

प्रदेश में सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों की सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रही एक खबर ने चिंता बढ़ा दी है, जिसमें विभिन्न विभागों में 30 या उससे कम पदों पर भर्ती करने को लेकर बोर्ड की असहमति प्रकट की गई है. हालांकि, इसका खंडन करते हुए राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष मेजर जनरल आलोक राज ने इसे अधूरी खबर बताते हुए सोशल मीडिया प्लटेफार्म एक्स पर लिखा कि 30 से कम पद की भर्ती के लिए राज्य सरकार के ही आदेश हैं कि ऐसी भर्तियां संबंधित विभाग खुद ही करें. बोर्ड इनकार नहीं राज्य सरकार के आदेश की पालना कर रहा है, जो निर्णय राज्य सरकार ने लिया था वो लॉजिक बेस्ड था. चूंकि हर संस्था की एक सीमित क्षमता होती है. बहुत ज्यादा एग्जाम कराना बोर्ड के लिए संभव नहीं है.

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उन्होंने कहा कि वैसे कोई भी भर्ती चाहे 1 पद के लिए हो या 1000 पदों की, उसकी प्रक्रिया और पूरा प्रोसेस समान और उतना ही लंबा और जटिल है. हर प्रतीक्षा में नोटिफिकेशन, फॉर्म फिलिंग, पेपर मेकिंग एंड प्रिंटिंग, एग्जाम सेंटर बुकिंग, एग्जाम कंडक्ट, ओएमआर स्कैनिंग की वेलिडेशन की चैलेंज का निस्तारण, रिजल्ट मेकिंग और फिर डॉक्यूमेंट्स वेरिफिकेशन एंड फाइनल रिजल्ट और इन सब पर भारी लिटिगेशंस और लीगल बैटल्स जो लगभग हर भर्ती का एक अटूट हिस्सा है. बोर्ड इस समय 3000 से भी ज्यादा लिटिगेशन्स से जूझ रहा है.

उन्होंने लिखा कि बोर्ड ने कुछ महीने पहले पहल करके छोटी भर्तियों की परीक्षाएं सीबीटी हाइब्रिड मोड में करने का निर्णय लिया था. 30 अगस्त को पहली डीबीटी हाइब्रिड मोड की हॉस्टल सुपरिटेंडेंट परीक्षा आयोजित कराई. इसी फैसले के कारण बोर्ड बड़ी भर्तियों के साथ बहुत सारी छोटी भर्ती भी कर पा रहा है. जैसे नवंबर से जनवरी के बीच में 20 अलग-अलग जूनियर इंस्ट्रक्टर की भर्तियां भी सीबीटी हाइब्रिड मोड में करेंगे.

उन्होंने स्पष्ट किया कि जहां तक बोर्ड के संसाधन का सवाल है ये राज्य सरकार के संज्ञान में पहले से हैं. राज्य सरकार ने पिछले कुछ महीनों में गैप्स को भरने की कोशिश भी की है. संसाधनों की कमी को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन की जिम्मेदारी संबंधित विभागों पर डाल दी है. हालांकि, बोर्ड अब टेबलेट बेस्ड टेस्ट का भी एक्सपेरिमेंट कर रहा है. यदि वो सफल हुआ तो और भी छोटी-बड़ी भर्तियां कम समय में कराए जा सकेंगे.

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