कोटा: चंबल नदी पर बन रहे प्रदेश के सबसे लंबे ब्रिज का निर्माण शुरू हुए एक साल हो गया है और इस 1 साल में महज 25 फीसदी काम हुआ है. अगले 9 महीने में इसके निर्माण की तय की गई समय सीमा समाप्त हो रही है, लेकिन इसमें निर्माण होना मुश्किल है. ऐसे में यह निर्माण साल 2026 में ही पूरा हो पाएगा. इसका कारण भी यह है कि कोटा और सवाई माधोपुर के बॉर्डर पर खातौली और खंडार के बीच झरेल में बन रहे ब्रिज के निर्माण स्थल पर 4 महीने चंबल का पानी रहता है.
चंबल नदी में कोटा बैराज से पानी छोड़ा जाता है या फिर उसकी सहायक नदियों का पानी पहुंचता है. बीते साल 30 सितंबर को इसका शिलान्यास तत्कालीन विधायक रामनारायण मीणा ने किया था. हालांकि, निर्माण कार्य दिसंबर महीने में ही शुरू हो पाया था. शुरुआत में जमीन अधिग्रहण में भी कुछ समय लगा था. इसके निर्माण को सितंबर 2025 तक पूरा किया जाना है, लेकिन तब तक निर्माण पूरा होना मुश्किल है. हालांकि, पुल निर्माण के बाद बारिश के समय झरेल पुल पर आने वाले चंबल नदी के पानी से निजात मिलेगी. साथ ही एमपी और सवाईमाधोपुर से सीधा कोटा जिला बेहतर जुड़ जाएगा. बारां से इटावा, खातौली होकर कोटा आना आसान हो जाएगा. करीब 10 लाख से ज्यादा की आबादी लाभांवित होगी.
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1880 मीटर लंबा है ब्रिज : चंबल घड़ियाल अभ्यारण में आने के चलते अनुमति भी केंद्र सरकार से ली गई थी. इसमें निर्माण के लिए 165 करोड़ स्वीकृत हुए थे, लेकिन निर्माण 111 करोड़ से हो रहा है, बाकी पैसा भूमि अवाप्ति और वन विभाग के कार्य मे जाएगा. वर्तमान में प्रदेश का सबसे लंबा पुल कोटा जिले में स्थित है, जो गैंता और माखीदा के बीच है. ये पुल बूंदी और कोटा को इटावा के नजदीक जोड़ता है. झरेल नदी के नजदीक बनने जा रहे नये पुल की लंबाई 1880 मीटर है, जबकि अभी जो सबसे लंबा पुल गैंता माखीदा के बीच है, वह 1562 मीटर का है.
इस तरह का बनेगा ब्रिज (ETV Bharat GFX) 18 पिलर और 36 पाइल बनकर तैयार : इटावा के अधिशासी अभियंता नरेश चौधरी का कहना है कि 46 में से 18 पिलर कंप्लीट हो गए हैं. वहीं, 46 पाइल में से 36 तैयार हो गई हैं. भूमि अवाप्ति का पूरा पैसा सक्षम अधिकारी को ट्रांसफर हो गया है, जिनमें कोटा के इटावा और सवाई माधोपुर के खंडार एसडीएम खंडार दोनों को पैसा चला गया है. इटावा की तरफ 3.95 हेक्टेयर भूमि आ रही है. खंडार की तरफ 2.55 हेक्टेयर जमीन है. यह करीब 25 फीसदी काम हो गया है.
ब्रिज का निर्माण तय समय सीमा में करवाने के ही निर्देश हैं, लेकिन चंबल नदी में जिस जगह ब्रिज का निर्माण हो रहा है, वहां पर बारिश के समय में पानी रहता है. करीब चार माह यह रास्ता बंद भी होता है और ब्रिज का निर्माण भी इसीलिए करवाया जा रहा है. काम करने के लिए केवल सर्दी और गर्मी के सीजन में ही जगह मिलती है. इसके बावजूद बारिश के सीजन में भी गर्डर व स्पान निर्माण का कार्य जारी रखा है. जरूरत पड़ने पर निर्माण की समय सीमा बढ़ाने की भी अनुमति लेंगे. सर्दी और गर्मी में पूरी क्षमता से निर्माण कार्य करवाया जा रहा है, जबकि बारिश में कार्य नहीं हो पता है - राजेश कुमार सोनी, अधीक्षण अभियंता, पीडब्ल्यूडी कोटा.