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राजस्थान हाईकोर्ट ने कुम्हेर हत्याकांड के 9 अभियुक्तों की सजा की निलंबित - Rajasthan High Court

राजस्थान हाईकोर्ट ने कुम्हेर हत्याकांड के मामले में 9 अभियुक्तों की सजा को निलंबित कर दिया है. साथ ही उन्हें रिहा करने के निर्देश दिए हैं.

suspends sentence of 9 accused,  Kumher murder case
राजस्थान हाईकोर्ट.

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 20, 2024, 9:27 PM IST

जयपुर.राजस्थान हाईकोर्ट ने भरतपुर के जून, 1992 के कुम्हेर जातीय हत्याकांड मामले के नौ अभियुक्तों लख्खो, प्रेम सिंह, मानसिंह, राजवीर, प्रीतम, पारस जैन, चेतन, शिव सिंह उर्फ शिब्बो व गोपाल को मिली आजीवन कारावास की सजा निलंबित करते हुए उन्हें रिहा करने का निर्देश दिया है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह व आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश अभियुक्तों की आपराधिक अपील पर सुनवाई करते हुए दिए.

हाईकोर्ट ने माना कि प्रार्थी अभियुक्तों का नाम मामले की एफआईआर में ही नहीं था और न ही उनकी पहचान हुई थी. इसके अलावा उनसे किसी हथियार की बरामदगी नहीं हुई थी. अपीलों के निस्तारण में समय लगेगा और प्रार्थी अभियुक्त ट्रायल से ही जमानत पर हैं, लिहाजा उनकी उम्रकैद की सजा निलंबित कर उन्हें जमानत पर रिहा करना उचित होगा. अभियुक्तों ने अपील में भरतपुर की एससी-एसटी मामलों की विशेष कोर्ट के 30 सितंबर 2023 के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें कोर्ट ने उन्हें हत्याकांड में दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

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अभियुक्तों की ओर से अदालत को बताया कि उनका नाम एफआईआर में नहीं था. जिन तीन आरोपियों के नाम चार्जशीट में आए थे, ट्रायल कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया है. अनुसंधान के दौरान शिनाख्त परेड नहीं हुई थी और ऐसे में उनकी पहचान नहीं हुई है. मामले के अधिकतर गवाह पक्षद्रोही हो गए थे और गवाहों ने क्रास परीक्षण में माना कि उन्होंने प्रार्थी अभियुक्तों को पहली बार देखा था. ऐसे में हजारों लोगों की भीड़ में उन्हें पहचानना और उनके नाम पहली ही बार में पता चलना संदेहपूर्ण है. प्रार्थी मामले की ट्रायल के दौरान भी जमानत पर थे और अपील के निस्तारण में समय लगेगा, इसलिए उनकी उम्रकैद की सजा निलंबित करते हुए उन्हें रिहा करने का निर्देश दिया जाए.

जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने उनकी उम्रकैद की सजा निलंबित कर दी. मामले के अनुसार कुम्हेर में 6 जून 1992 को हुई जातीय हिंसा में 16 लोगों की हत्या हुई थी और 30 से ज्यादा लोग गंभीर तौर पर घायल हुए थे. मामले की जांच पहले पुलिस ने की और बाद में इसे सीबीआई को सौंपा गया था. सीबीआई ने मामले के अनुसंधान के बाद 83 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश की. वहीं, 31 साल लंबी चली ट्रायल के बाद एससी-एसटी कोर्ट ने इस मामले में नौ अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई और 41 आरोपियों को बरी कर दिया था.

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