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हाईकोर्ट से मेडिकल कॉलेज को राहत नहीं, एमबीबीएस की 100 सीटें ही रहेंगी - RAJASTHAN HIGH COURT

राजस्थान हाईकोर्ट ने मेडिकल कॉलेज से जुड़ी स्टे प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया.

COURT REJECTED STAY APPLICATION,  REDUCTION IN MBBS SEATS
राजस्थान हाईकोर्ट. (ETV Bharat jaipur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 8, 2024, 8:57 PM IST

जयपुरःराजस्थान हाईकोर्ट ने आकस्मिक जांच में संसाधनों की कमियां पाए जाने पर मेडिकल कॉलेज की एमबीबीएस की सीट कम करने के मामले में निजी मेडिकल कॉलेज को राहत देने से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने एकलपीठ की ओर से याचिका खारिज करने के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने से मना करते हुए स्टे प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश इंडियन मिशन ऑफ मेडिकल साइंसेज सोसायटी, कोटा और सुधा मेडिकल कॉलेज, झालावाड़ की याचिका में दायर स्टे प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए दिए.

प्रार्थना पत्र में कहा गया कि अपीलार्थी ने मेडिकल कॉलेज के लिए आवेदन किया था. इस पर चिकित्सा शिक्षा विभाग ने प्रारंभिक जांच के बाद 24 मार्च, 2023 को पत्र जारी कर याचिकाकर्ता को तीन शैक्षणिक सत्रों के लिए 150 सीटों की क्षमता वाले मेडिकल कॉलेज की स्थापना की अनुमति जारी कर दी. इसके बाद याचिकाकर्ता ने सभी औपचारिकताएं पूरी कर राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय से संबद्धता और मान्यता के लिए आवेदन किया. आरयूएचएस ने भी 9 अप्रैल, 2023 को उसे अनुमति दे दी.

पढ़ेंः Rajasthan: मेडिकल कॉलेज की याचिका खारिज, एमबीबीएस की सीटें कम करने को दी थी चुनौती

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने कॉलेज स्थापना के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन के समक्ष अनुमति के लिए आवेदन किया. इस पर राष्ट्रीय चिकित्सा मूल्यांकन और रेटिंग बोर्ड ने कुछ कमियां बताते हुए याचिकाकर्ता को गत तीन अप्रैल को नोटिस दिया. इसका याचिकाकर्ता ने जवाब दे दिया. याचिका में कहा गया कि बोर्ड ने आकस्मिक निरीक्षण कर संसाधनों और फैकल्टी की कमी बताकर गत 4 जुलाई को 150 सीटों को घटाकर सौ सीटें कर दी. इसके खिलाफ दायर याचिका को एकलपीठ ने गत दिनों खारिज कर दिया. ऐसे में एकलपीठ के आदेश पर रोक लगाई जाए.

इसका विरोध करते हुए एएसजी राज दीपक रस्तोगी ने कहा कि मेडिकल कॉलेज में संसाधनों और फैकल्टी की कमी के कारण सौ सीटों पर ही प्रवेश की अनुमति दी गई थी. जिस पर कॉलेज भी सहमति जता चुका था. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार तीस अक्टूबर के बाद प्रवेश नहीं दिया जा सकता. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने स्टे प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया.

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