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हाईकोर्ट का आदेश- पक्षकार 50 पौधे लगाकर केस निस्तारण तक करें उनकी देखभाल - Rajasthan High Court

High Court Order. हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान बड़ा आदेश दिया. कोर्ट ने पक्षकारों से 50 पेड़ लगाकर केस निस्तारण तक उनकी देखभाल के आदेश दिए. यहां जानिए पूरा मामला...

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट (ETV Bharat Jaipur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 10, 2024, 9:06 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने शहर की म्यूजियम रोड पर स्थित मंदिर में मूर्तियों और कृष्णानंदजी की तस्वीर पर चंदन लगाने से जुड़े मामले में दोनों पक्षकारों को निर्देश दिए हैं कि वह एक माह में मंदिर परिसर में 25-25 पेड़ लगाकर उनकी देखभाल करें. इसके साथ ही अदालत ने निचली अदालत में चल रहे केस का निस्तारण होने तक हर साल जुलाई माह के प्रथम सप्ताह में इन पेड़ों की फोटोग्राफ अदालत में पेश करने को कहा है. जस्टिस अनूप ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश भानू प्रकाश शर्मा व अन्य की ओर से दायर याचिका का निस्तारण करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि पेड़ लगाना पक्षकारों की भगवान और प्रकृति के प्रति आस्था को बढ़ाएगा.

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह हमारी संस्कृति और विरासत की रक्षा करे. इसके अलावा किसी को मूर्ति या प्रतिमा को नुकसान पहुंचाने का अधिकार नहीं है, लेकिन किसी को मंदिर में पूजा-अर्चना करने से रोकने का भी अधिकार नहीं है. अदालत ने कहा कि प्रतिमा पर मिलावटी दूध, दही, कुमकुम या गुलाल चढ़ाने की अनुमति भी नहीं दी जा सकती है. चंदन की आड़ में किसी को पेंट करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. वहीं, व्यक्ति की धार्मिक भावनाएं भी आहत नहीं की जा सकती.

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याचिका में कहा गया कि वह म्यूजियम रोड स्थित शिव मंदिर में स्वामी कृष्णानंदजी की फोटो पर करीब तीन दशक से चंदन लगाते हैं और उस पर नाम लिखते हैं, लेकिन अब उसकी धार्मिक भावनाएं आहत कर ऐसा करने से रोका जा रहा है. निचली अदालत के आदेश की आड़ में उन्हें सेवा-पूजा करने से रोका जा रहा है. इसलिए निचली अदालत के आदेश को रद्द किया जाए. जिसके विरोध में मंदिर की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता को पूजा करने से नहीं रोका जा रहा है, लेकिन वे धार्मिक भावना की आड़ में मंदिर की प्रतिमा को नुकसान पहुंचा रहे हैं.

दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने माना कि मंदिर की प्रतिमा को नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता, लेकिन किसी को पूजा करने से भी नहीं रोका जा सकता. इसके साथ ही अदालत ने दोनों पक्षों को मंदिर परिसर में पौधारोपण करने को कहा है.

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