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हाईकोर्ट ने अतिक्रमण मान कर मकान ध्वस्त करने के आदेश पर लगाई रोक, याचिकाकर्ताओं को राहत - HIGH COURT ORDER

हाईकोर्ट ने अतिक्रमण मान कर मकान ध्वस्त करने के आदेश पर लगाई रोक. याचिकाकर्ताओं को दी गई राहत. जानिए पूरा मामला

High Court Order
अदालत का आदेश (ETV Bharat)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 16, 2024, 9:51 PM IST

जोधपुर: राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश विनीत कुमार माथुर ने बालोतरा जिले के सिलोर गांव के याचिकाकर्ता ग्रामीणों के मकानों को अगले आदेश तक ध्वस्त करने पर रोक लगा दी है. अतिरिक्त महाधिवक्ता श्याम लादरेचा को इस मामले में अगली सुनवाई पर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं. अगली सुनवाई 15 जनवरी को मुकर्रर की गई है.

याचिकाकर्ता जोगसिंह की ओर से अधिवक्ता श्याम पालीवाल ने एक याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्तागण बालोतरा जिले के बिचलीवास सिलोर गांव के रहने वाले हैं और यह गांव लूणी नदी के किनारे बसा हुआ है. उनके पूर्वजों ने यहां मकान बनाए थे, उसके बाद किसी तरह का नया निर्माण नहीं किया गया है. सेटलमेंट के समय खसरा संख्या 365 की जमीन को त्रुटिवश एक गैर मुमकिन रास्ता दर्शाया गया, जबकि उस समय याचिकाकर्ताओं के मकान बने हुए थे. उनके पूर्वज यहां रहते भी थे और वे भी अब यहां ही निवास कर रहे हैं.

पढ़ें :अतिक्रमण हटाने का एक्शन प्लान पेश करो, वरना जेडीसी पेश होकर दें जवाब: राजस्थान हाईकोर्ट - HC ON ENCROACHMENT IN JAIPUR

अधिवक्ता पालीवाल ने कहा कि वे जिस जमीन पर रह रहे हैं, वह किसी तरह से प्रतिबंधित नहीं है. बस एक त्रुटि की वजह से उसे गैर मुमकिन रास्ता दर्शा दिया गया. इसलिए उनका किसी तरह गैर मुमकिन रास्ते पर अतिक्रमण नहीं है. वे पिछले 50 साल से इस जमीन पर निवास कर रहे हैं. उन्हें वर्ष 1979 की बाढ़ के कारण शिफ्ट किया गया था, जो कि 5 अगस्त 2023 की वेरिफिकेशन रिपोर्ट से भी यह सत्यापित हो रहा है.

पालीवाल ने कोर्ट के यह भी ध्यान में लाया कि ग्रामवासियों के आने–जाने के लिए पर्याप्त रास्ता है. उनके मकानों की वजह से उनकी आवाजाही किसी तरह से प्रभावित नहीं हो रही है. कोर्ट ने याचिका को विचारार्थ स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को याचिका की एक प्रति एएजी श्याम सुंदर लदरेचा को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए और अगली सुनवाई पर कोर्ट को वस्तुस्थिति से अवगत कराने के लिए कहा गया. साथ ही प्रशासन को अगली सुनवाई तक याचिकाकर्ताओं के मकान हटाने के लिए किसी तरह की कार्यवाही अमल में नहीं लाने के आदेश दिए हैं. अगली सुनवाई 15 जनवरी को होगी.

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