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पेपर लीक गिरोह के आठ आरोपियों को नहीं मिली जमानत - RAJASTHAN HIGH COURT

राजस्थान हाईकोर्ट ने पेपर लीक गिरोह के आठ आरोपियों की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है.

राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट (ETV Bharat Jodhpur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 25, 2025, 6:29 AM IST

जोधपुर :राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस फरजंद अली की बेंच ने वरिष्ठ अध्यापक प्रतियोगिता परीक्षा 2022 में पेपर लीक प्रकरण के आठ आरोपियों की ओर से पेश दूसरे जमानत आवेदन को भी सुनवाई के बाद खारिज कर दिया. हाईकोर्ट में आरोपी पुखराज व अन्य की ओर से द्वितीय जमानत आवेदन पेश किया गया था, जिसमें सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता दीपक चौधरी ने पैरवी करते हुए जमानत का विरोध किया. कोर्ट ने विस्तृत सुनवाई के बाद सभी याचिकाएं खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट को आवश्यक निर्देश दिए.

प्रदेश में पेपर लीक मामले को लेकर एसओजी की टीम ने राजस्थान लोक सेवा आयोग, अजमेर की ओर से आयोजित वरिष्ठ अध्यापक, द्वितीय श्रेणी (माध्यमिक शिक्षा) प्रतियोगी परीक्षा (वर्ष 2022) पेपर लीक प्रकरण में पुलिस थाना बेकरिया जिला उदयपुर के मामले में पेपर लीक गिरोह का खुलासा करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार किया था. इसमें आरोपी पुखराज, राजीव कुमार, गमाराम खिलेरी, रामगोपाल, अनिता कुमारी मीणा, गोपालसिंह, विजयराज और राजीव विश्नोई शामिल था.

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हाईकोर्ट ने आरोपियों को राहत देने से इनकार करते हुए द्वितीय जमानत आवेदन को खारिज कर दिया. साथ ही ट्रायल कोर्ट को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं, जिसमें ट्रायल कोर्ट निर्धारित समय सीमा के भीतर ट्रायल को समाप्त करने के लिए सभी संभव प्रयास करेगा. यह सुनिश्चित करते हुए कि न्यायिक नियंत्रण से परे कारणों को छोड़कर, कोई भी अनुचित स्थगन न दिया जाए. जांच एजेंसी आवश्यक साक्ष्य शीघ्रता से प्रस्तुत करने और अनावश्यक देरी के बिना जांच के लिए गवाहों की उपस्थिति सुनिश्चित करने में सतर्क रहेगी. अभियुक्त व्यक्तियों को अपना बचाव करने के लिए सभी उचित अवसर प्रदान किए जाएंगे.

हालांकि, उन्हें प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं की आड़ में कार्यवाही को अनावश्यक रूप से लंबा खींचने की अनुमति नहीं दी जाएगी. अभियोजन पक्ष कार्यवाही को समय पर पूरा करने में ट्रायल कोर्ट को पूर्ण सहयोग देगा, जिससे निष्पक्ष सुनवाई और त्वरित न्याय के सिद्धांतों को कायम रखा जा सके. हाईकोर्ट ने कहा कि निर्देश न्याय के हित में और इस मौलिक सिद्धांत को कायम रखने के लिए जारी किए गए हैं कि स्वतंत्रता का अधिकार पवित्र है, लेकिन इसका प्रयोग आपराधिक कार्यवाही के निष्पक्ष और शीघ्र निपटान के लिए हानिकारक तरीके से नहीं किया जा सकता है.

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