जयपुर : पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (अब पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना) के समझौते को सार्वजनिक करने की मांग विपक्ष लंबे समय से कर रहा है. अब इस संदर्भ में सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी देने से भी सरकार ने यह कहकर मना कर दिया कि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक हितों का खतरा हो सकता है. इस पूरे मामले को लेकर कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा, "ईआरसीपी समझौते का सच बताने में राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा कैसे हो सकता है ?"
दरअसल, ईआरसीपी (अब पीकेसी) परियोजना के तहत राजस्थान सरकार, मध्यप्रदेश सरकार और केंद्र सरकार के बीच हुए समझौते के बारे में सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगी गई थी. सरकार ने यह कहकर जानकारी देने से मना कर दिया कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रदेश के आर्थिक हित से जुड़ा हुआ मुद्दा है.
इसे भी पढ़ें-गोविंद डोटासरा ने बोले- सीएम से कोई मिल नहीं सकता, कोई उनसे संतुष्ट नहीं होता, बाकि तो सारे एनपीए हैं
जानकारी देने से बच रही है सरकार :डोटासरा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट में कहा, "भाजपा सरकार ईआरसीपी परियोजना की जानकारी देने और समझौते को सार्वजनिक करने से क्यों घबरा रही है ? राजस्थान की जनता पीकेसी-ईआरसीपी परियोजना की कुल लागत, राज्य की हिस्सेदारी, कार्य की समय सीमा और क्रियान्वयन का विवरण जानना चाहती है, लेकिन भाजपा सरकार इसे 'राष्ट्रीय सुरक्षा' से जोड़कर जानकारी देने से बच रही है. ईआरसीपी के समझौते का सच बताने में 'राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा' और 'आर्थिक हितों का जोखिम' कैसे हो सकता है ?"
स्वयंभू 'भागीरथ' को जनता के बीच देना पड़ेगा जवाब :डोटासरा ने कहा, "सच ये है कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने पीकेसी-ईआरसीपी के समझौते में मध्यप्रदेश के सामने समर्पण करके राजस्थान के हितों के साथ खिलवाड़ किया है. लोकसभा चुनाव में राजस्थान की जनता का वोट हासिल करने के लिए समझौते का स्वांग रचा गया. मुख्यमंत्री ने स्वयंभू 'भागीरथ' बनकर आभार सभाएं कीं और जल संकट खत्म करने का झूठ बोलकर जनता को धोखा दिया. सरकार कब तक समझौते की सच्चाई छिपाएगी ? राजस्थान को भ्रमित करने वाले स्वयंभू 'भागीरथ' को जनता के सामने जवाब देना पड़ेगा."